- सरकारी मुलाजिम ने कर्तव्यों से आगे बढ़कर खड़ी की रक्तदानियों की 'फौज'

उन्नाव: यूं तो अपने परिजनों को भी रक्त की जरुरत पड़ने पर सगे संबंधी भी रक्तदान करने के बजाय बचाव की मुद्रा में दिखते हैं। अगर ऐसे में कोई सरकारी मुलाजिम वह भी महिला विभागीय जिम्मेदारियों और दायित्वों से आगे जाकर गर्भवती महिला की जान बचाने लिए स्वयं रक्तदान करे तो उसे निश्चित तौर पर समाज के लिए प्रेरणा का श्रोत ही माना जाएगा। इससे भी बड़ी बात दूसरी महिलाओं को रक्त की कमी से ¨जदगी मौत के बीच न जूझना पड़े इसके लिए उसने रक्तदानियों की श्रंखला खड़ी कर दी। कर्तव्यों से आगे बढ़कर मानव सेवा की मिसाल कायम करने का यह सराहनीय काम बीघापुर ब्लाके क्षेत्र की आशा बहू रेनू ने कर दिखाया।

विकास खंड बीघापुर की ग्राम पंचायत अमरपुर के मेहरबान खेड़ा निवासी अंकित की पत्नी सुजाता को 26 सितंबर 2014 को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। प्रसव के दौरान उसकी नियमित देखभाल सुनिश्चित कराने वाली आशा रेनू पाकर उसके घर पहुंची। शारीरिक रूप से कमजोर सुजाता की गंभीर हालत को देख आशा बहू ने उसे प्राथमिक स्वास्थय केंद्र- बीघापुर ले जाने के लिए एम्बुलेंस सेवा के लिए 102 को फोन किया एम्बुलेंस को आने में देर होती और सुजाता की तबियत बिगडती देख आशा बहू ने समाजवादी एम्बुलेंस सेवा 108 को बुलाया और उसे प्राथमिक स्वास्थय केंद्र ले गई। सुजाता एनीमिक थी डॉक्टर ने डिलीवरी के लिए खून की जरुरत बताई लेकिन खून की उपलब्धता नहीं थी। इससे सुजाता की जान बचाने के लिए रेनू ने ठाना की वह ब्लड डोनेट करेगी। उसने रक्तदान कर सुजाता का सुरक्षित प्रसव कराया।

रेनू के सामने आई इस घटना ने उसे इस कदर झकझोरा की उसने यह ठान लिया की वह रक्त की बूंदे सहेजने के लिए समाज के लोगों से व्यक्तिगत संपर्क करेगी। और लोगों को ब्लड डोनेशन करने के लिए प्रेरित करेगी। आश बहू न क्षेत्र के लोगों को सुजाता की जाने जाने की नौबत आने की जानकारी देकर ब्लड डोनेशन के लिए कहा। आशा बहू की निष्ठा को देखते हुए लोगों में जगरूकता आई। आशा बहू के अनुरोध पर डॉ। रजनीश ने 7 अक्टूबर 2014 को बीघापुर प्राथमिक स्वास्थय केंद्र पर ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित। आशा बहू रेनू की मेहनत ने रंग दिखाया कैंप के दिन 66 लोग डोनेशन के लिए आए। पहला डोनेशन रेनू ने किया, ब्लड बैंककी स्टोरेज क्षमता कम होने से कई लोगों को पंजीकृत कर वापस भेज दिया गया। आशाओं की रोल मॉडल बनी रेनू ने कहा कि ब्लड की कमी से सुजाता की जान पर बन आने की घटना ने ही मुझे रक्त की बूंदे सहेजने के लिए प्रेरित किया उसी के कारण अब मै जब भी क्षेत्र में जाती हूं लोगों को रक्तदान के लिए राजी करती हूं। जब भी किसी को आवश्यकता होती है तो उससे रक्तदान कराती हूं। विभाग ने मानवता और समाज सेवा की ललक को देखते हुए रेनू को आशा संगिनी का पदभार सौपा गया। बीघापुर के चिकित्सा प्रभारी डॉ। रजनीश कुमार यादव ने बताया कि रेनू मॉडल के रूप में है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ। मुईज ने बताया कि रेनू का नाम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रतिष्ठित रानी लक्ष्मी बाई शक्ति पुरस्कार के लिए भेजा गया है। इससे इतना तो साफ है कि अगर ललक हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।