पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Sawan 2021 Somvar Vrat: श्रावण मास का आरंभ "श्रवण नक्षत्र" एवं "आयुष्मान योग" से हो रहा है। "श्रवण नक्षत्र" श्रावण मास में अति शुभ फल देने वाला होता है। श्रावण मास की पुराणों में बहुत अधिक महिमा है श्रावण मास भगवान शिव को विशेष प्रिय है। श्रावण मास आते ही चारों ओर वातावरण शिव भक्ति में होता है।जितनी वर्षा होती है, उतनी ही भगवान की कृपा मानी जाती है। शास्त्रों के मुताबिक शिव पूजन का यह महीना बेहद खास होता है।श्रावण के महीने में पड़ने वाले सोमवारों का भी विशेष महत्व माना जाता है।इस माह में पड़ने वाले मंगलवार का भी विशेष महत्व होता है।इस माह के सोमवारों को "वन सोमवार" कहा जाता है।श्रावण मास के मंगलवार को मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है।इस दिन मंगल ग्रह के शांति के निमित्त एवं मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना एवं व्रत किया जाता है। वहीं इस बार कोरोना महामारी से बचने के लिए श्रावण मास के चारों सोमवार के श्रेष्ठ मुहूर्त में महामृत्युंजय जाप करें।
प्रत्येक सोमवार पूजा का समय
प्रातः 5.40 से 7.20 ,9.20से 10.45* अमृत एवं शुभ के चैघड़िया मुहूर्त में। अपराह्न 3.45 से सांय 7.15 तक लाभ,अमृत के चौघड़िया में। इसके अलावा इस व्रत में भगवान शिव का पूजन करके एक ही समय भोजन किया जाता है। इस व्रत एवं पूजन में शिव एवं माता पार्वती का ध्यान कर शिव का पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए पूजन करना चाहिए।सावन के प्रत्येक सोमवार को श्री गणेश जी, शिव जी,पार्वती जी तथा नंदी की पूजा करने का विधान है।
जानें सावन के सोमवार कब-कब है
पहला सोमवार(26 जुलाई 2021)
जया तिथि(सभी शुभ कार्यों में विजय दिलाने वाली),धनिष्ठा नक्षत्र एवं सौभाग्य योग।इस दिन कजली तृतीया, श्रवण गौरी व्रत भी है।
दूसरा सोमवार( 2 अगस्त 2021)
रिक्ता तिथि,(व्रत आदि के लिये शुभ),कृतिका नक्षत्र,(शुभ फल देने वाला)वृद्धि योग।इस दिन कुमारी पूजा,दुर्गा पूजा,हनुमानजी दुर्गा पूजन आदि।
तीसरा सोमवार(9 अगस्त 2021)
श्रावण शुक्ल पक्ष आरम्भ,नंदा तिथि(सभी शुभ कार्यों के लिए),कार्य सिद्ध करने वाली।इस दिन से रोटक व्रत आरम्भ।
चौथा अंतिम सोमवार(16 अगस्त 2021)
अष्टमी जया तिथि(विजय दिलाने वाली),अनुराधा नक्षत्र(शुभ फल देने वाला),सूर्य की सिंह संक्रांति।
शिव जी को इस वजह से प्रिय है श्रावण मास
शिव को श्रावण मास इसलिए अधिक प्रिय है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार जब सनद कुमारों ने महादेव से उनसे श्रावण मास प्रिय होने का कारण पूंछा तो महादेव शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण लिया था, अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती रूप में हिमालय राज के घर में पुत्री रूप में जन्म लिया।पार्वती ने युवावस्था के श्रावण मास में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया,जिसके बाद से ही महादेव के लिए श्रावण मास विशेष प्रिय हो गया।इस माह पूर्णमा के दिन श्रवण नक्षत्र विद्दमान रहता है।इसी कारण इस माह का नाम श्रावण पड़ा।श्रावण मास का प्रत्येक दिन शिव पूजा के लिए विशिष्ट है।बिल्व पत्रों का भगवान शिव की पूजा में विलक्षण महत्व है।

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