नई दिल्ली (पीटीआई)। कोविड-19 महामारी की मार झेल रहे विभिन्न सेक्टर के कर्जदाताओं को सरकार ने ईएमआई चुकाने से छूट दी थी। सरकारी आदेशों और माॅरटोरियम अवधि के बाद कर्ज चुकाने की प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश वित्त मंत्रालय द्वारा 2 अक्टूबर को एक अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने के एक दिन बाद दिया है। मंत्रालय ने शपथपत्र में कहा गया है कि ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा।

सरकार और बैंकों को काेर्ट का निर्देश

यह छूट छह महीने के माॅरटोरियम अवधि के दौरान 2 करोड़ रुपये तक के लोन के लिए होगा। सरकार ने कोविड-19 महामारी की मार झेल रहे व्यक्तिगत कर्जदाताओं और छोटे एवं मध्यम उद्योगों को राहत देने के लिए माॅरटोरियम अवधि की घोषणा की थी। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने अपने 10 सितंबर के आदेश का हवाला देते हुए केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और बैंकों से कहा कि मामले पर विचार से पहले वे यह बताएं कि उन्होंने क्या फैसले लिए हैं।

ईएमआई पर ब्याज लेने का आरोप

बेंच ने कहा, '2 अक्टूबर को दाखिर किए गए शपथपत्र में 10 सितंबर को दिए कोर्ट के आदेश के मुताबिक जरूरी विवरण नहीं हैं। साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील वी गिरि ने कहा कि वे आगे संबंधित निर्णय और जारी सर्कुलर को लेकर अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने जा रहे हैं।' वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बेंच ने याचिका की सुनवाई की। याचिका में आरोप है कि बैंक माॅरटोरियम अवधि 1 मार्च से 31 अगस्त की ईएमआई पर ब्याज ले रहे हैं। ध्यान रहे कि माॅरटोरियम पीरियड में ग्राहकों को महामारी की मार से राहत देने के लिए ईएमआई न चुकाने का विकल्प दिया गया था।

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