नई दिल्ली (आईएएनएस)। कोरोना वायरस संकट के बीच विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं के लिए जारी यूजीसी 6 जुलाई, 2020 की गाइडलाइंस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई हैं। ऐसे में आज दलीलों के एक बैच पर सुनवाई हुई। इस दाैरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दे रही है और मामले को 10 अगस्त को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया है। एपेक्स कोर्ट ने केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि एमएचए का रुख स्पष्ट करें। तुषार मेहता ने जवाब दिया यह सोमवार तक हो जाएगा।

अधिवक्ता ने अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया

इस मामले में अधिवक्ता अलक आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट से एक अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया क्योंकि कई छात्र बिहार और असम में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंस गए हैं। अंतिम वर्ष के छात्र यश दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पेश होकर पीठ के समक्ष दलील दी कि देश में कोरोना वायरस के 16 लाख से अधिक मामले हैं उन्होंने शीर्ष अदालत से यूजीसी के पहले के दिशानिर्देशों की जांच करने और फिर 6 जुलाई को जारी दिशानिर्देशों को देखने को कहा है।

आसमान नहीं गिरा जाएगा अगर एग्जाम कैंसिल हो जाएंगे

अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आसमान नहीं गिर जाएगा अगर एग्जाम कैंसिल हो जाएंगे। वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सितंबर-अंत तक अंतिम-वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए भारत भर के विश्वविद्यालयों को अनिवार्य करने वाले 6 जुलाई के दिशानिर्देशों को बदलना संभव नहीं है। बता दें कि यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को 30 सितंबर 2020 तक कराने के निर्देशों को लेकर विरोध देश भर में हो रहा है।

National News inextlive from India News Desk