नई दिल्ली (एएनआई)। सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो अपमानजनक ट्वीट्स के लिए वकील प्रशांत भूषण को अवमानना ​​का दोषी करार दिया। इसके साथ ही कहा कि 20 अगस्त को इस मामले में भूषण को दी जाने वाली सजा पर बहस की जाएगी। इस मामले में छह महीने की कैद या दो हजार रुपये तक नकद जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है।शीर्ष अदालत ने 5 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

प्रशांत भूषण को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था

सुनवाई के दाैरान प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए कहा था ट्वीट भले ही अप्रिय लगे, लेकिन अवमानना नहीं है। उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते। हाालंकि शीर्ष अदालत ने भूषण द्वारा व्यक्त खेद को स्वीकार करने या कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। 22 जुलाई को शीर्ष अदालत ने इस मामले में प्रशांत भूषण को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

दो आपत्तिजनक ट्वीट 27 जून और 29 जून को किए

वकील प्रशांत ने जूडिशियरी के खिलाफ दो आपत्तिजनक ट्वीट 27 जून और 29 जून को किए थे। यह कोई पहली बार नहीं है। इसके पहले एक ट्वीट किया था कि लॉकडाउन के दौरान करोड़ों लोग भूखे है और हजारों लोग मीलों पैदल चल रहे हैं लेकिन इस दौरान हमारे मंत्री रामायण महाभारत सीरियल की अफीम खा रहे हैं और लोगों को भी वही खिला रहे हैं। इस ट्वीट का विरोध हुआ और गुजरात में सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी ने केस दर्ज करा दिया था।यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

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