नई दिल्ली (एएनआई/पीटीआई)। Nirbhaya Case सुप्रीम कोर्टनिर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषी मुकेश द्वारा दायर याचिका पर आज अपना आदेश सुना दिया। जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस अशोक भूषण ने मंगलवार को इस मामले में दलीलें सुनीं और आज सुबह फैसला सुनाया। न्यूज एजेंसी पीटीआई के एक ट्वीट के मुताबिक पीठ ने उसकी याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट के फैसले से दोषी मुकेश को एक बड़ा झटका लगा है। बता दें कि दोषी मुकेश कुमार सिंह ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराने के फैसले को चुनौती दी थी, जिस पर मंगलवार को तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की।


शारीरिक और यौन उत्पीड़न का सामना किया
निर्भया मामले में दोषी मुकेश कुमार सिंह, पवन कुमार गुप्ता, विनय कुमार शर्मा, और अक्षय कुमार सिंह को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी होनी है। ऐसे में दोषी फांसी से बचने का हर पैंतरा अपना रहे हैं। कल इस मामले में सुनवाई के दाैरान मुकेश की ओर से पेश वकील अंजना प्रकाश ने आरोप लगाया है कि उनके मुवक्किल ने तिहाड़ जेल में शारीरिक और यौन उत्पीड़न का सामना किया। उसे काल कोठरी में डाल दिया। वकील ने कहा कि राष्ट्रपति पद का दायित्व एक महान जिम्मेदारी का संवैधानिक कर्तव्य है, जिसका प्रयोग लोगों के अच्छे को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए, लेकिन राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सोच विचार नहीं किया।

अर्जेंट सुनवाई करने का अनुरोध किया था
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि सभी आरोपाें को खारिज कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि ट्रायल कोर्ट, दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सीय स्थिति पर विचार करते हुए मामले में दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। सभी की मानसिक स्थिति ठीक है। बता दें कि राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश की दया अर्जी 17 जनवरी को खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका पर अर्जेंट सुनवाई करने का अनुरोध किया था।

1 फरवरी की सुबह 6 बजे होनी है फांसी

बता दें कि चारों दोषी मुकेश, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा तथा अक्षय कुमार 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी होने वाली फांसी से बचने का इंतजार कर रहे हैं। 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में एक किशोर सहित छह लोगों ने निर्मम तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया था। इससे उपचार के दाैरान उसकी माैत हो गई थी। इसस मामले में आरोपियों में एक किशाेर छूट गया और पांच वयस्क आरोपियों में से, राम सिंह ने मामले की सुनवाई के दौरान कथित ताैर पर तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

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