दो एक से हुआ फैसला

मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा 'नीट' करवाने के मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के फैसले को 2:1 के बहुमत से खारिज कर दिया. इस मामले में न्यायमूर्ति एआर दवे की मुख्य न्यायाधीश कबीर और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन से अलग राय थी.

13 मई को लगी थी रोक

उल्लेखनीय है कि इसी साल 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल के एमबीबीएस, बीडीएस व पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने पर लगी रोक हटा दी थी. मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपने गत 13 दिसंबर के आदेश में बदलाव करते हुए प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित करने पर लगी रोक हटाते कहा था कि यह अंतरिम आदेश वे परीक्षा देकर प्रवेश की बाट जोह रहे छात्रों और अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए दे रहे हैं.

स्टूडेंट्स के एक साल का सवाल

कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों ने उन्हें सूचित किया है कि अगर प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किए जाएंगे तो छात्रों का एक वर्ष खराब हो जाएगा वे इस शैक्षणिक सत्र में प्रवेश नहीं ले पाएंगे. इसके अलावा अस्पतालों में डाक्टरों की भी कमी हो जाएगी क्योंकि मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के छात्रों को ही अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए भेजा जाता है.

115 याचिकाएं लंबित थी कोर्ट में

सुप्रीम कोर्ट में 115 याचिकाएं लंबित थी, जिनमें सिर्फ नीट के जरिये ही मेडिकल के ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने की 2010 की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. ये याचिकाएं अल्पसंख्यक संस्थाओं के गैर सहायता प्राप्त मेडिकल कॉलेज, निजी मेडिकल कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय व कुछ राज्यों की ओर से दाखिल की गई थीं.

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