नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है। अलादत ने यह निर्णय इस मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए लिया है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज एफएम कलीफुल्ला इस मामले में मध्यस्थता वाले पैनल के प्रमुख होंगे। इसके साथ अदालत ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कार्यवाही की रिपोर्टिंग से मीडिया को रोक दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पैनल को चार सप्ताह के भीतर अयोध्या मामले पर अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा अदालत ने पैनल को आठ हफ्ते में मध्यस्थता की कार्यवाही पूरी करने के लिए भी कहा है। मध्यस्थों में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर और सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।

कार्यवाही को गोपनीय रखने की जरुरत
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सफल मध्यस्थता के लिए जरुरी है कि इस कार्यवाही को गोपनीय रखा जाए। कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कार्यवाही फैजाबाद में होगी और एक सप्ताह के भीतर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कोर्ट ने कहा कि पैनल सदस्य इस कार्यवाही में और भी अन्य सदस्यों को शामिल कर सकते हैं और इस मामले से जुड़ी कोई भी समस्या होती है तो वह सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराएं। बता दें कि बुधवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने विभिन्न प्रतियोगी दलों की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चौदह अपील दायर की गई हैं, चार सिविल सूट में कहा गया है कि अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि को तीन दलों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला।

CBI vs ममता बनर्जी : सुप्रीम कोर्ट ने मांगे कोलकाता कमिश्नर के खिलाफ सबूत, कल होगी सुनवाई

National News inextlive from India News Desk