केंद्र की सलाह के बिना राज्य सरकार नहीं ले सकती हैं निर्णय
सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि जिन मामलों की जांच केंद्र सरकार की एजेंसी ने की है और सजा का प्रावधान भी एजेंसी की जांच के आधार पर किया गया है उन मामलों में माफी का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। इसलिए राज्य सरकार केंद्र की सहमति के बिना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई कदम नहीं उठा सकती। तमिलनाडु सरकार द्वारा राजीव गांधी हत्या मामले के आरोपियों को रिहा करने के फैसले से यह मुद्दा उठ खड़ा हुआ था।

राज्य सरकार ने किया था रिहाई पर फैसला
इस मामले पर बुधवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। संविधान पीठ के अन्य न्यायाधीशों में जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस यूयू ललित शामिल थे। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने पैरवी की। वी श्रीधरन उर्फ मुरुगन एवं तमिलनाडु सरकार की तरफ से क्रमशः राम जेठमलानी और राकेश द्विवेदी ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद 12 अगस्त को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गौरतलब है कि राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी की सजा को पहले ही उम्र कैद में बदला जा चुका है जिसके बाद राज्य सरकार ने उनकी रिहाई पर फैसला किया था।

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