नई दिल्ली (पीटीआई)। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ तथा जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि यह स्टे ऑर्डर दिल्ली हाई कोर्ट को कोविड-19 प्रबंधन से जुड़े मामलों की निगरानी से नहीं रोकेगा। देश की सर्वोच्च अदालत ने एक अर्जेंट सुनवाई में आदेश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चत करने के लिए केंद्र सरकार तथा दिल्ली सरकार के अधिकारी शाम को एक बैठक कर विभिन्न उपायों पर चर्चा करें।

ऑक्सीजन आपूर्ति के खोजें रास्ते

अदालत ने कहा कि महामारी की हालत से पूरा भारत जूझ रहा है। ऐसे में हमें राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे लोगों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल करने के लिए रास्ते खोजने होंगे। हम भी दिल्ली में रह रहे हैं। फोन पर भी हम मदद नहीं कर पा रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके कार्यालय में वकीलों सहित तमाम लोग मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं लेकिन हम मदद नहीं कर पा रहे। ऐसे में हम अंदाजा लगा सकते हैं कि आम आदमी के साथ क्या हो रहा होगा।

एक्सपर्ट कमेटी बनाने का दिया सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे 30 अप्रैल के आदेश का रिव्यू नहीं कर सकते तथा केंद्र सरकार को दिल्ली में रोजाना 700 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होगी। बृहस्पतिवार सुबह तक केंद्र सरकार को 700 मिट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर योजना बतानी होगी। कोर्ट ने एक्सपर्ट तथा डाॅक्टरों की एक कमेटी बनाने तथा मुंबई में चल रहे कोविड-19 के मौजूदा हालात को ध्यान में रखने का का सुझाव दिया।

जेल भेजने से नहीं आएगी ऑक्सीजन

सर्वोच्च अदालत ने तकरीबन दो घंटों की सुनवाई में कहा कि अधिकारियों को जेल भेजने से दिल्ली में ऑक्सीजन नहीं आएगी। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से 3 मई के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर किए गए उपाय के बारे में भी पूछा। कोर्ट ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना है कि जीवन बचा रहे। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली में प्रतिदिन करीब 150 मिट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ा कर 700 मिट्रिक टन तक लाना है ताकि ज्यादा से ज्यादा जीवन बचाया जा सके।

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