- 5186 फर्जी बीएड डिग्री निरस्त करने में यूनिवर्सिटी ने शुरू की कवायद

- एसआईटी ने बनाया दबाव, जांच एजेंसी को 11 अगस्त को पेश करनी है रिपोर्ट

आगरा। डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी ने आखिर वर्ष 2005 के बीएड फर्जीवाड़े को बैठक में स्वीकार कर लिया। घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने फर्जी डिग्रियों को निरस्त करने की संस्तुति की है। लेकिन, विवि अधिकारियों द्वारा लगातार मामले को टालते हुए नियमों का हवाला दिया जा रहा है। वहीं, जांच टीम ने हाईकोर्ट में 11 अगस्त को रिपोर्ट दाखिल करने की अपनी तैयारी पूरी कर ली है।

दो दिन से डारे डाले हुए एसआईटी

एसआईटी पिछले दो दिनों से विवि में डेरा डाले पड़ी है। जांच टीम के आलाधिकारियों ने फर्जी विद्यार्थियों की डिग्री निरस्त करने की संतुति विवि अधिकारियों से की थी। लेकिन उनके द्वारा कोई भी ठोस निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है। विवि अधिकारी नियमों का हवाला दे रहे हैं। प्रभारी रजिस्ट्रार केएन सिंह ने बताया कि नियमानुसार ही निरस्तीकरण की कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में शुक्र वार को हुई बैठक में विवि ने नियमों को पूरा करने के बाद उक्त डिग्रियों को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।

जेल भेजे जा चुके हैं कर्मचारी

विश्वविद्यालय में हुए बीएड फर्जीवाड़े की जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है। दो कर्मचारी जेल की सलाखों के पीछे हैं, तो एक दर्जन से अधिक कर्मचारी जांच एजेंसी के रडार पर हैं। एसआईटी ने जांच में वर्ष 2005 में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए 5186 विद्यार्थियों की डिग्री को फर्जी पाया था।

कई फर्जी डिग्री से कर रहे नौकरी

एसआईटी को विवि में वर्ष 2005 में हुए बीएड घोटाले का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। कार्रवाई करने से पूर्व जांच टीम ने डुप्लीकेट चार्टो को कब्जे में ले लिया था, इससे विवि कर्मचारी चार्टो में कोई हेराफेरी नहीं कर सके। इसी के आधार पर एसआईटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार की है। इसमें फर्जी डिग्री पाकर प्रदेश के कई जिलों में नौकरी कर रहे शिक्षक भी शामिल हैं। इसकी लिस्ट एसआईटी के अधिकारियों के पास है।

सुनील क डुप्लिकेट मार्कशीट निरस्त

अलीगढ़ के छात्र सुनील की डुप्लीकेट मार्कशीट को विवि ने निरस्त कर दिया। उक्त छात्र सुनील ने वर्ष 2005 में बीएड किया था। छात्र की डुप्लीकेट मार्कशीट को शुक्रवार को निरस्त कर दिया है। इसके बाद 5186 अभ्यार्थियों पर कार्रवाई शुरू की जाएगी। सुनील ने इस संबंध में न्यायालय में मामला दायर किया था। इसके बाद ही फर्जीवाड़े का खुलासा हो सका।