-रामगढ़ताल में मछली मारने के टेंडर में धांधली, बिना जांच पास कर दिया गया ठेका

- पिछली बार 2 करोड़ 26 लाख 70 हजार में उठा था ठेका

GORAKHPUR: रामगढ़ताल को पर्यटल स्थल बनाने के लिए जहां सरकार कई नए-नए प्रोजेक्ट ला रही है. उसी ताल के मछली मारने के ठेके को देने में जीडीए के जिम्मेदार नियमों को तार-तार कर रहे हैं. अब नया मामला आया है जीडीए कर्मचारी के बेटा को 22 करोड़ रुपए का टेंडर देने का. आपत्ति के आधार पर पता चला है कि नियमों को दरकिनार करते हुए मत्स्य जीवी सहकारी समिति लिमिटेड, टोला मनहट को टेंडर में शामिल कर ठेका भी दे दिया गया. अब जब दूसरे पक्ष ने इसकी आपत्ति डाली है तब इसकी जांच जीडीए ने शुरू की है.

टेंडर में शामिल होने पर की थी आपत्ति

मत्स्य जीवी सहकारी समिति लिमिटेड, टोला मनहट के टेंडर में शामिल होने पर दूसरे पक्ष ने पहले ही आपत्ति दर्ज कराई थी. दूसरा पक्ष मत्स्य जीवी सहकारी समिति लिमिटेड, महेरवां की बारी ने आपत्ति करते हुए कई आरोप टोला मनहट पर लगाए हैं. आरोप लगाया है कि जीडीए के बाइलॉज में साफ-साफ लिखा है कि कर्मचारी के परिवार या रिश्तेदार बोली में शामिल नहीं हो सकते हैं. ऐसी जानकारी मिलने पर बोली निरस्त करते हुए जमानत की धनराशि भी जब्त करने का आदेश है. इसके बाद भी जीडीए अधिकारियों ने कर्मचारी के बेटे को शामिल किया. बोली के बाद उसी समिति को ठेका भी दे दिया गया.

समिति के पास नहीं है जलाशय

महेरवां की बारी टोला ने ये भी आरोप लगाया है कि टोला मनहट के पास अपना जलाशय भी नहीं है. जो कि ठेका लेने के लिए जरूरी है. ये भी आरोप है कि मत्स्य विकास अभिकरण गोरखपुर द्वारा टोला मनहट को सक्रियता प्रमाण पत्र भी नहीं जारी किया गया है. उनका ये भी आरोप है कि जीडीए कर्मचारी नंदकिशोर और राधेश्याम का पूरा परिवार समिति का सदस्य है.

कर्मचारी की पत्नी के खाते से जमा हुआ पैसा

महेरवां की बारी टोला ने आरोप लगाया है कि ई-टेंडरिंग 22 फरवरी को जमानत की धनराशि समिति के खाते से बैंक में भेजी गई. उनका आरोप है कि इसमें भी नियमों को अनदेखी करते हुए कर्मचारी की पत्‍‌नी के खाते से पैसा भेजा गया.

पांच साल में बीस गुना बढ़ गई कीमत

बता दें, आरोप है कि रामगढ़ताल में पिछली बार भी मत्स्य जीवी सहकारी समिति लिमिटेड, टोला मनहट ने 2 करोड़ 26 लाख 75 हजार रुपए बोली लगाकर फर्जी कागजातों को लगाकर ठेका हासिल किया था. वही ठेका इस बार 22 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. इसी से इस ताल से होने वाली कमाई का अंदाजा लगाया जा सकता है. बोली भी उसी समिति ने लगाई है जिसने इससे पहले भी पांच साल तक काम ि1कया था.

बॉक्स

कर्मचारी ने िदया इस्तीफा

चर्चा है कि मछली मारने के ठेके पर आंच न आए इसके लिए जीडीए कर्मचारी ने आनन-फानन में इस्तीफा दे दिया. जिसे जीडीए वीसी ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है. इस बात की जीडीए में खूब चर्चा हो रही है.

काम से पहले नहीं होती कागजाें की जांच

जीडीए में ये प्रकरण आने के बाद एक बात तो सिद्ध ही हो गई है कि जीडीए में टेंडर के पहले डॉक्युमेंट की जांच नहीं होती है. अगर मछली मारने के ठेके में शामिल समितियों के कागजात की सही ढंग से जांच होती तो ये सीन नहीं देखना पड़ता.

क्या कहता है नियम

-टेंडर में प्राधिकरण का कोई भी कर्मचारी व उसका पारिवारिक सदस्य अथवा रिश्तेदार भाग नहीं ले सकेगा

-कर्मचारी के परिवार के शामिल होने पर बोली निरस्त करते हुए जमानत राशि जब्त की जाएगी.

-मत्स्य विभाग द्वारा वर्तमान में कार्यरत समिति के नवीनीकरण सक्रियता प्रमाण पत्र होना चाहिए.

-समीति का अपना जलाशय होना आवश्यक है.

-समीति के खाते से करनी होगी धनराशि जमा.

वर्जन

टेंडर में आई आपत्ति के बाद जांच शुरू कर दी गई है. जांच के बाद जो भी सही होगा किया जाएगा. गलत करने वालों पर कार्रवाई होगी.

- अमित बंसल, वीसी जीडीए