-पीएचडी स्कॉलर्स ने स्मार्ट सिटी पर दिया आइडिया

-टेक्नोलॉजी के यूजेज से ही होंगे स्मार्ट

-टेक्नोलाजी और इनोवेशन की यूटिलिटी बढ़ाने पर फोकस

-पटना के लिए कई विकल्प सुझाया पीएचडी होल्डर्स ने

PATNA : हाल ही में पटना को देश का सबसे पूअर टाउन कहा गया। इसके बाद एक चर्चा शुरू हो गयी कि आखिर इसकी क्या-क्या वजहें हैं। यहां बात अगर हॉयर एजुकेशन, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की बात करें तो इन एरियाज में बहुत कुछ करने की जरूरत है। पटना को स्मार्ट सिटी और स्मार्ट लिविंग के बारे में आई नेक्स्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) के फ‌र्स्ट टाइम पीएचडी डिग्री एवार्डियों से उनका आइडिया जाना। इसमें तैमूर खान ने मोबाइल एंटीना, मो। टीयू हैदर ने ऑनलाइन लर्निग, प्रभात कुमार ने वायरलेस सेंसर्स नेटवर्क और मधुबाला ने ऑरगेनिक साइंस के बॉयोजॉजिकल यूजेज को बेहतर करने के टॉपिक पर वर्क किया है। उन्होंने अपना आइडिया शेयर किया।

एडेपटिव लर्निग है बेटर

सीएसई डिपार्टमेंट से पीएचडी स्कॉलर मो। टीयू हैदर ने एडेप्टिव ऑनलाइन लर्निग सिस्टम बेस्ड कोग्निटिव ट्रीटस टॉपिक पर पीएचडी डिग्री पाया है। फिलहाल वे एनआइटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि ट्रेडिशनल लर्निग की जगह एडेपटिव लर्निग है बेटर। मेरे इस वर्क का प्रमुख उद्देश्य है कि लर्निग परफॉर्मेस को इनहांस करना है। खासकर हॉयर एजुकेशन में इसका बहुत महत्व है। लर्निग को बढ़ावा देने के टूल डिजाइनिंग से स्मार्ट लिविंग होगा।

सेंसर्स से होगा हर काम आसान

सीएसई डिपार्टमेंट से पीएचडी स्कॉलर प्रभात कुमार ने बताया कि सेंसर्स हाई लिविंग का एक यूजफूल टेक्निक है। इससे न केवल सिटी स्मार्ट होगा बल्कि लिविंग स्टैंडर्ड को एक नया आयाम मिल सकता है। उन्होंने बताया कि मैंने वायरलेस सेंसर्स नेटवर्क पर काम किया है। इसकी यूटिलिटी है कि सेंसर्स की हेल्प से लाइस्टाइल को एडवांस किया जा सकता है। स्मार्ट सिटी, मिलेट्री बेस और डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे एरियाज में यह यूज हो रहा है.अगर पटना को एक एडवंास सिटी बनाना है तो यहां पब्लिक प्लेस में सेंसर्स का नेटवर्क यूज किया जाना चाहिए।

ग्रास रूट हो हॉयर एजुकेशन

इसीई डिपार्टमेंट के पीएचडी स्कॉलर तैमूर खान ने इन सब बातों से एक अलग ओपियन रखा। उन्होंने कहा कि अभी बिहार के सबसे जरूरी है कि हॉयर एजुकेशन को ग्रास रूट तक पहुंचाया जाए। क्योंकि पूअर स्टेट को अन्य स्टेट से ज्यादा ग्रांट मिलता है। लेकिन उसका सही से यूज नहीं होता है। यहां ऐसे कई स्टूडेंट्स हैं जो हॉयर एजुकेशन दूसरे स्टेट में नहीं ले पाते हैं। ऐसे में यहां हॉयर एजुकेशन को ग्रास रूट तक ले जाना होगा।

ह्यूमैनिटी है अंतिम लक्ष्य

एनआइटी कंवोकेशन में कैमेस्ट्री डिपार्टमेंट से एकमात्र पीएचडी अवार्डी मधुबाला ने भी साइंस को ह्यूमैनिटी के लिए यूजफुल बनाने का काम किया है। अपने रिसर्च के बारे में उन्होने बताया कि उन्होंने आर्गेनिक कैमेस्ट्री के बॉयोलॉजिकल एंपार्टेस पर काम किया है। उनकी रिसर्च से फार्मा सेक्टर में भी इनोवेशन को एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने बताया कि मेरा लक्ष्य बॉयोटेक या रिसर्च एरिया में काम करने का है।