- एकेटीयू से सम्बद्ध सभी कॉलेजों में गहराया स्कॉलरशिप का मामला

- यूपीएसईई-2016 की काउंसिलिंग से होने वाले प्रवेश में 50 फीसदी खर्च कॉलेजों को उठाने को कहा

- ट्यूशन फीस को बढ़ाने पर कॉलेजों में किया जा रहा विचार

LUCKNOW: डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) से सम्बद्ध इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में इस साल स्टेट एंट्रेंस एग्जाम (एसईई)-2016 के माध्यम से होने एडमिशन को लेकर एक विवाद हो गया है। दरअसल, यूपीएसईई-2016 की काउंसिलिंग के माध्यम से होने वाले एडमिशन में स्टूडेंट्स ट्यूशन फीस में 50 फीसदी की छूट देनी है। यूनिवर्सिटी के इस आदेश से कॉलेजों की नींद उड़ गई है। वहीं, इस अतिरिक्त खर्च को वहन करने से बचने के लिए कॉलेजों में स्टूडेंट्स की फीस को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

कॉलेज ओनर्स विरोध में

कॉलेजों का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने काउंसिलिंग के माध्यम से फीस में 50 प्रतिशत की छूट देने का ऑर्डर जारी कर दिया है। इस योजना के तहत एससी-एसटी कैटेगरी के स्टूडेंट्स को छोड़कर इसका लाभ देना है। इसके लिए स्टूडेंट्स को यूपीएसईई-2016 की काउंसिलिंग से प्रवेश लेना होगा। कॉलेजों का कहना है कि नोएडा व राजधानी लखनऊ में कई ऐसे कॉलेज हैं जहां की 70 से 80 फीसदी सीट काउंसिलिंग के माध्यम से भर जाती है। ऐसे में अगर वह 50 फीसदी फीस में छूट देंगे तो कॉलेजों को पूरे साल का खर्च निकालना मुश्किल हो जाएगा।

समाज कल्याण के भरोसे बैठे कई कॉलेज

एकेटीयू से करीब सवा छह सौ से अधिक इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज सम्बद्ध है। इनमें से करीब सौ कॉलेजों को छोड़ दे तो शेष बचे कॉलेज समाज कल्याण से मिलने वाले स्कॉलरशिप के भरोसे ही संचालित हो रहे है। इसके लिए इन कॉलेजों में यूनिवर्सिटी के नियमों को ताक पर रखकर एडमिशन दिया जाता हैं। अगर ऐसे में काउंसिलिंग के माध्यम से स्टूडेंट्स आते है तो कॉलेजों को मजबूरी में उन्हें 50 फीसदी की छूट फीस में देनी होगी। इसके बाद इन कॉलेजों के सामने अपने अस्तिव को बचाने का ही संकट खड़ा हो गया है।

फीस बढ़ोत्तरी में कर रहे विचार

राजधानी के एक बड़े कॉलेज प्रबंधक ने बताया कि सभी कॉलेजों का एक ग्रुप बनाया जा रहा है। जहां पर इस मुद्दे को लेकर चर्चा की तैयारी की जा रही है। जिसमें यह तय होगा की फीस कम होने के कारण होने वाले घाटे को पूरा करने के लिए फीस में बढ़ोत्तरी के बारे में सोच रहे है। ताकि स्कॉलरशिप से होने वाले घाटे को इस माध्यम से पूरा किया जा सके।