-1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए एकेडमिक सेशन के लिए बुक शॉप्स पर परिजनों की भीड़

-एक साल में 40 फीसदी तक बढ़े किताबों के दाम, स्कूल्स ने फीस में भी की बढ़ोत्तरी

BAREILLY:

निजी स्कूल्स की मनमानी ने एक बार फिर परिजनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सैटरडे से सीबीएसई स्कूल्स का नया एकेडमिक सेशन शुरू हो रहा है। लेकिन बच्चों के नई क्लासेज में जाने की शुरुआत परिजनों को 'अप्रैल फूल' बनाए जाने से की जा रही। नए एकेडमिक सेशन के लिए निजी स्कूल्स मैनेजमेंट की ओर से फीस से लेकर बुक्स, यूनिफॉर्म और बैग्स के दाम में बढ़ोतरी कर दी गई है। स्कूल्स की इस मनमानी ने परिजनों का बजट महीना शुरू होने से पहले ही बिगाड़ना शुरू कर दिया है। पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल की फीस भरी जा सके, इसलिए उन्होंने अपनी जरुरतों में कटौती शुरू कर दी है।

40 फीसदी महंगी हुई बुक्स

सीबीएसई स्कूल्स की पढ़ाई साल दर साल महंगी होती जा रही है। लास्ट ईयर के मुकाबले इस साल सीबीएसई की पढ़ाई 40 फीसदी महंगी हो गई है। शहर के नामचीन स्कूल विद्या भवन पब्लिक स्कूल, बिशप कॉनराड, एसआर इंटरनेशनल, सेंट फ्रांसिस व डॉल्फिन पब्लिक स्कूल समेत अन्य ने फीस में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। हर साल फीस व शिक्षा खर्च में बढ़ोतरी से बच्चों को पढ़ाना परिजनों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। वहीं सैटरडे से शुरू हो रहे नए एकेडमिक सेशन के लिए बच्चों के साथ ही पेरेंट्स भी तैयारियों में जुटे गए हैं। फ्राइडे को दिनभर पेरेंट्स बच्चों के साथ बुक्स, ड्रेस व बैग की खरीदारी में ि1बजी रहे।

पूरा सिलेबस खरीदना जरूरी

फ्राइडे को बुक्स खरीदने आए अभिभावक आकाश गंगवार ने बताया कि उनके भतीजे विद्या भवन पब्लिक स्कूल में क्लास पांच और छह पढ़ते थे। इस साल उनके भतीजे क्लास छह और सात में आ गए हैं। फ्राइडे को जब वे दोनों के लिए बुक्स खरीदने आए और उन्होंने एक बुक पहले से होने का हवाला देकर सिलेबस से वह बुक निकालने की बात कही। इस पर दुकानदार ने एक भी बुक देने से इनकार कर दिया। मजबूरी में उन्हें सिलेबस की सारी बुक्स के साथ वह बुक भी खरीदनी पड़ी।

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बुक्स और यूनिफॉर्म के दाम बढ़ने से घर का बजट बिगड़ गया है। लास्ट ईयर के मुकाबले बुक्स 40 प्रतिशत तक महंगी हो गई हैं।

अंकुर सक्सेना, पेरेंट

प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है। स्कूल संचालक हर साल मनमर्जी से फीस में बढ़ोत्तरी कर देते हैं, जिसका असर पेरेंट्स की जेब पर पड़ता है।

जितेन्द्र अग्रवाल, पेरेंट

मार्च की सैलरी इनकम टैक्स में कट गई। इससे परिवार का बजट पहले ही बेपटरी हो गया था। ऐसे में बुक्स, ड्रेसेस और बढ़ी फीस का ज्यादा बोझ परिवार पर आ गया है।

राजकुमार, पेरेंट