- पब्लिक स्कूलों में क्लास थर्ड से नाइन तक के स्टूडेंट्स को मिल रहे हैं अजीब प्रोजेक्ट्स

- लेवल से हाई प्रोजेक्ट्स कर रहे हैं स्टूडेंट्स के साथ ही पेरेंट्स को भी परेशान

Meerut : पब्लिक स्कूलों में इन दिनों बच्चों को गर्मी की छुट्टी में दिए हुए प्रोजेक्ट परेशान कर रहे हैं। स्कूलों ने बच्चों को इस तरह के प्रोजेक्ट दिए हैं जो उनके लेवल से कहीं ऊपर हैं। कुछ ऐसे हैं, जिनके बारे में स्टूडेंट्स को पता ही नहीं है। ऐसे में स्टूडेंट्स के साथ ही पेरेंट्स भी परेशान हो रहे हैं।

पेरेंट्स की जेब पर भारी प्रोजेक्ट्स

स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले होमवर्क व प्रोजेक्ट्स पेरेंट्स की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। स्कूल्स ने बच्चों को कुछ ऐसे प्रोजेक्ट्स दिए हैं, जिनमें कहीं न कहीं स्कूलों और दुकानदारों की आपसी कमीशन का खेल भी सामने आ रहा है। स्कूलों में बच्चों को बुक्स के बेस पर प्रोजेक्ट बनाने के लिए दिए हुए हैं। जैसे एक स्कूल ने क्लास सेवन के बच्चे को द वंडर फ्लाइट टू द मशरुम प्लांट, रेन इन द माउंटेन, अवर इंडिया आदि बुक्स को पढ़कर उनके स्केच तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट दिया हुआ है। वहीं किसी स्कूल ने क्लास फोर के बच्चे को मालगुड़ी डेज की बुक्स पढ़ने के साथ ही उसकी कुछ कहानियों के चित्र बनाने के लिए दिए हुए हैं। इन बुक्स के लिए भी स्कूलों ने फिक्स शॉप बता रखी हैं, जिसके चलते मोटी कमीशन का खेल चल रहा है।

लेवल से ऊपर का होमवर्क

स्कूलों में बच्चों को उनके लेवल से ऊपर का प्रोजेक्ट व होमवर्क दिए हुए हैं। कुछ स्कूलों ने क्लास फाइव से सेवन तक के स्टूडेंट्स को एंट्रेंस एग्जाम लेवल की रिजनिंग दे रखी है। वहीं क्लास थर्ड के एक बच्चे को स्वर्ग पर प्रोजेक्ट बनाने के लिए दिया हुआ है। कुछ स्कूलों ने तो बच्चों को मूवी के ऊपर भी प्रोजेक्ट बनाने के लिए दिए हैं।

बाजार के लगा लगा रहे चक्कर

स्कूलों में दिए हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए बच्चों को अपनी पेरेंट्स की जेब ढीली करनी पड़ रही है। स्कूलों में बिना नॉलेज किए दिए हुए हाई लेवल के प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए बच्चे अब विभिन्न प्रोजेक्ट्स बनाने वालों के चक्कर काट रहे हैं। बाजार में इन प्रोजेक्ट्स को बनाने वाले 300 रुपए से लेकर हजार रुपए तक भी इन प्रोजेक्ट्स के लिए ले रहे हैं।

क्या कहते हैं पेरेंट्स?

स्कूलों में कुछ इस तरह के प्रोजेक्ट्स दिए जाते हैं, जिनके बारे में बच्चों को नॉलेज ही नहीं होती है। ऐसे में बच्चों को मजबूरी में बाजार में जाकर महंगे प्रोजेक्ट्स बनवाने पड़ रहे हैं।

प्रतिभा, बेगमबाग

स्कूल्स बच्चों को उनकी क्लास के लेवल से ऊपर के प्रोजेक्ट्स बनाने के लिए दे रहे हैं। ऐसे में उनके होमवर्क व प्रोजेक्ट्स के लिए इंटरनेट का सहारा लेना पड़ रहा है।

जसविंद्र, सदर

स्कूल्स अक्सर बच्चों को विभिन्न तरह के ऐसे प्रोजेक्ट्स बनाने के लिए देते हैं, जिनके लिए उन्हें बाजार में भटकना पड़ रहा है।

विनेश जैन, सदर