- लगातार दूसरे दिन स्ट्राइक मरीजों पर कहर बनके टूटी

- हॉलीडे ने और बढ़ा दिया मरीजों का दर्द

<- लगातार दूसरे दिन स्ट्राइक मरीजों पर कहर बनके टूटी

- हॉलीडे ने और बढ़ा दिया मरीजों का दर्द

ALLAHABAD:

ALLAHABAD:

सीन नंबर एक

7क् साल के बड़ोखर गांव के रहने वाले इमाम बख्श यूरिनल प्रॉब्लम को लेकर एसआरएन हॉस्पिटल में डॉ दिलीप चौरसिया को दिखाने पहुंचे थे। यहां आकर पता चला कि ओपीडी बंद है। निराश होकर उन्हें वापस लौटना पड़ा।

सीन नंबर दो

एसआरएन हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग पहुंचे मिर्जापुर के धर्मेद्र ने बताया कि उनके पिता भैयालाल को हार्ट प्रॉब्लम है। बिना दवा खाए उनका काम नहीं चलता। मंगलवार को इलाज के साथ मेडिकल स्टोर बंद होने से उन्हें दवा भी नहीं मिली।

सीन नंबर तीन

करछना के रहने वाली सुशीला शुगर की मरीज है। अपने बेटे के साथ एसआरएन हॉस्पिटल पहुंची थीं। ओपीडी बंद होने की वजह से उन्हें घंटों इंतजार के बाद निराश लौटना पड़ा।

सीन नंबर चार

क्8 महीने का हमजा पैरों से विकलांग है। प्रतापगढ़ से उसके पिता उसे लेकर एसआरएन हॉस्पिटल की आर्थो ओपीडी आए थे। गोद में लेकर वह घंटों भटकते रहे लेकिन किसी डॉक्टर ने नहीं सुनी।

सीन नंबर पांच

चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के कैंपस में तीन साल की रानी बुखार से तप रही थी। करेली के रहने वाली उसकी मां बताया कि तीन घंटे से बैठे हैं लेकिन डॉक्टरों ने नहीं देखा। बच्ची सीरियस है। ऐसे में उसे लेकर कहां जाए, कुछ समझ नहीं आ रहा है।

सीन नंबर छह

जार्जटाउन की रहने वाली पार्वती भी अपनी सालभर की बच्ची गौरी को लेकर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल पहुंची थी। कान में दर्द के चलते परिजनों ने डॉक्टरों से मिन्नत की लेकिन हड़ताल का हवाला देकर वापस कर दिया गया।

करतूत किसी की और भुगत कोई और रहा था। अपने पीड़ा में थे। उम्मीद थी कि कहीं तो इस पीड़ा का निदान हो जाएगा। लेकिन जिस चौखट पर पहुंचे वहां निराशा ही हाथ लगी। कंधे पर मरीजों को लेकर पहुंचे परिजन इलाज न मिल पाने के कारण आंखों में आंसू लेकर लौट गए। प्राइवेट अस्पतालों की तो बात छोडि़ए, सिटी की सरकारी अस्पतालों में मंगलवार को यह आलम दिखा। डाक्टरों की दूसरे दिन की हड़ताल मरीजों पर कहर बनके टूटी।

इनकी हड़ताल ने बढ़ा दिया दर्द

गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट डॉ। रोहित गुप्ता की पिटाई के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन और व्यापक हो गई। एएमए के आहवान पर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में सन्नाटा रहा ही, सरकारी हॉस्पिटल्स में भी विरोध का असर दिखा। एसआरएन हॉस्पिटल, एमडीआई, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ओपीडी में भी ओपीडी ठप रहने से दूर-दराज से आए मरीजों को बिना इलाज घर वापस लौटना पड़ा।

इलाज तो दूर दवा भी नहीं मिली

एएमए के साथ हड़ताल पर गए एसआरएन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मंगलवार को कैंपस में खुली दवा की दुकानें भी बंद करा दीं। इससे मरीजों को इलाज तो दूर दवा भी नहीं मिल सकी। बता दें कि एसआरएन कैंपस के मेडिकल स्टोर्स में यहां के डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली दवाएं मिलती हैं। ऐसे जो मरीज पुराने पर्चे की दवाएं कंटीन्यू करना चाहते थे उन्हें भी दिक्कतें पेश आई।

बेली और कॉल्विन पर बढ़ा लोड

शहर के निजी हॉस्पिटल्स समेत मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल्स की ओपीडी बंद हो जाने से बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल्स पर अचानक लोड बढ़ गया। मंगलवार को दोनों हॉस्पिटल्स की ओपीडी में पांच हजार से अधिक मरीज पहुंचे। सभी ओपीडी में जबरदस्त भीड़ थी। अधिकतर मरीज ग्रामीण इलाकों के थे। इसके अलावा दोनों हॉस्पिटल के वार्ड पूरी तरह फुल हो गए। लगभग तीन दर्जन मरीजों को दिनभर में एडमिट किया गया।

अवकाश ने तोड़ी मरीजों की कमर

स्ट्राइक के बीच मंगलवार को डॉ। अंबेडकर की जयंती पर अवकाश ने मरीजों मुश्किलें और बढ़ा दी। अवकाश के चलते सरकारी हॉस्पिटल्स की ओपीडी दोपहर बारह बजे तक ही चली। दवा काउंटर भी क्ख् बजे के बाद बंद हो गया। इससे कई मरीजों को निराश लौटना पड़ा।