- पटनाइट्स की नजर में 66-ए को खत्म करना स्वागतयोग्य फैसला

- लोगों ने कहा-किसी की आवाज को दबाना कहीं से जायज नहीं

sanjeet.narayan@inext.co.in

PATNA: आजाद भारत में बोलने की आजादी हर किसी को है। हालांकि इस हाईटेक सोसायटी में सोशल व नेटवर्किंग साइट्स के आने के बाद से लोग कुछ ज्यादा ही मुखर हो गए हैं। अब लोग किसी भी मुद्दे पर खुलकर बातें करते हैं। अपनी भड़ास निकालते हैं। पल भर में एक मामले में हजारों-लाखों लोग अपनी बात दूसरों तक पहुंचा देते हैं। एक-दो केस के बाद तो सोशल साइट्स पर कुछ भी लिखने से लोग हिचकने लगे थे। लोगों का डर था कि पता नहीं कब कौन सी बात, किसको बुरी लग जाए और बिना मतलब के जेली की हवा खानी पड़ जाए।

जनमानस को प्रभावित करने वाला फैसला

एक निजी कंपनी के सीनियर अधिकारी शंकर कुमार कहते हैं कि बोलने की आजादी हर किसी को है। आज जब हम इंटरनेट युग में जी रहे हैं, सोशल कनेक्शन में रह रहे हैं, दुनिया एक मुट्ठी में आकर बस गई है, तब 66-ए का कोई मतलब नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत अच्छा और जनमानस को प्रभावित करने वाला फैसला दिया है। वहीं, साइट मैनेजर अंकेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि 66-ए को खत्म करना बड़ा और स्वागतयोग्य फैसला है, पर लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि बिना मतलब किसी पर आरोप लगाने से भी बाज आना चाहिए।

पर भाषा मर्यादित हो

रिजवान अख्तर कहते हैं कि उच्च न्यायालय का यह फैसला अच्छा है पर फिर भी इसका नकारात्मक प्रभाव कुछ ना कुछ तो पड़ेगा ही, क्योंकि अगर जंगली जानवर को खुला छोड़ दिया जाए तो वो तो कोहराम मचाएगा ही। हर एक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी मिलनी ही चहिए, परन्तु भाषा मर्यादित हो। पटना वीमेंस कॉलेज की स्टूडेंट निशि कहती है कि आज फेसबुक और ट्विटर पर हर कोई एक्टिव हो गया है। सुबह से शाम तक की बातें पोस्ट करता है और अब किसी को कुछ लिखने पर जेल भेज दिया जाए, यह कहां तक जायज है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला जरूरी हो गया था, इस धारा को खत्म करना ही चाहिए था।

तुरंत हुई थी अरेस्टिंग

गौरतलब है कि 2012 में बाला साहेब ठाकरे की अंतिम यात्रा को लेकर पालघर की शाहीन नाम की एक लड़की ने कमेंट किया था, जिसके बाद रीनू ने उसे लाइक किया था। शिवसेना की नाराजगी के बाद पुलिस ने धारा 66ए के तहत दोनों को अरेस्ट कर लिया था। अरेस्टिंग के कारण रीनू की इंजीनियरिंग की पढ़ाई एक साल तक प्रभावित हुई थी। वहीं, हाल में ही उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान के खिलाफ कमेंट करने वाले एक स्टूडेंट को 24 घंटे के भीतर इसी धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था।

Pancham Singh

इस फ्रीडम से कुछ मिसयूज नहीं होगा, बल्कि लोगों को अपनी कुछ भी बातें रखने में सहूलियत होगी।

Qaisar Wasim

मेरे ख्याल से इसका कोई भी मिसयूज नहीं होगा। यहां तो लोग अपनी बातें रखेंगे, अपनी राय रखेंगे। हमें तो बोलने की पूरी आजादी है, यह संविधान में भी लिखा है।

Sakshi

सोशल साइट्स पर अपनी 'भड़ास' निकालने वाले को भी अब तुरंत जेल नहीं होगी, संबंधी सुप्रीम कोर्ट का फैसला काबिलेतारीफ है। आखिर बोलने की आजादी हर किसी को है, पर यूं रोक-टोक क्यों?

Amit Kumar

मिसयूज तो हर फ्रीडम का कुछ न कुछ होता ही है।लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब लोगो को काफी सुविधा होगी।क्योकि किसी नेता या भ्रष्ट व्यक्ति को कुछ कहने से उसे अरेस्ट नहीं किया जाएगा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी बनी रहेगी।

Akshay Kumar Sinha

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मैं सौ फीसदी एग्री हूं। इससे लोगों के मन में जो भी शिकायत होगी, वे खुलकर अपनी बात रख सकेंगे। रही बात मिसयूज की, तो यह लोगों पर डिपेंड करता है कि सुझाव दे रहे हैं या इरिटेट कर रहे हैं।