बार-बार समीक्षा की जाती है, पर

महावीर मंदिर को कभी भी निशाना बनाया जा सकता है, जबकि अब भी उसकी सिक्योरिटी राम भरोसे है। श्री कुणाल ने बताया कि जूनियर ऑफिसर्स के लेवल पर बार-बार समीक्षा की जाती है जबकि यह सीनियर ऑफिसर्स के जिम्मे होना चाहिए। अभी भी मंदिर के बार से लेकर अंदर तक और पुलिस फोर्स को लगाने की जरूरत है।

प्रशासन की बड़ी चूक है

7 मार्र्च 2006 को संकटमोचन मंदिर पर हमले के बाद से ही महावीर मंदिर निशाने पर रहा है। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद सैप जवानों की एक टुकड़ी लगाई गई थी लेकिन अब वह आधी बच गई है। किशोर कुणाल ने बोधिमंदिर पर हमले के बाद गया के डीएम पर अब तक कार्रवाई नहीं होने पर भी आश्चर्य जताया और कहा कि यह पुलिस प्रशासन की बड़ी चूक है। इससे सबक लेने की जरूरत है।