त्रिवेदी को इन आरोपों के मद्देनजर पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद नागरिक समाज ने देशद्रोह की धाराएँ लगाए जाने की तीखी निंदा की थी। बाद में उन्हें ज़मानत पर रिहा किया गया था।

उनके खिलाफ राष्ट्रीय चिन्ह को अपमान करने का आरोप था। उनकी गिरफ्तारी को देश भर में लोगों ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया था। त्रिवेदी भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की लड़ाई में शामिल थे।

इस मुहीम के दौरान उन्होंने एक कार्टून बनाया था जिसमें राष्ट्रीय चिन्ह के प्रतीक तीन शेरों को भे़डि़यों के रूप में दिखाया गया था। इन भेड़ियों के मुंह से खून टपकता हुआ दिखाया गया था। इस कार्टून के नीचे लिखा था, “ भ्रष्टाचार जिंदाबाद ”।

एक अन्य कार्टून में उन्होंने संसद को शौचालय बना दिया था। पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था।

देश के कई कार्टूनिस्टों ने उनके कार्टूनों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे लेकिन कहा था कि इसके बाद भी कार्टूनों के लिए देशद्रोह के आरोप लगाना ग़लत है।

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