- नेपाल भूकंप त्रासदी में फंसे अब्दुल्लापुर निवासी कपड़ा व्यापारी पिता-पुत्र ने घर लौटकर बयां किया आंखों देखा हाल

भावनपुर : नेपाल में आए भूकंप ने हजारों लोगों को अपने आगोश में समेट लिया. काठमांडू के रत्‍‌ना पार्क के आसपास सैकड़ों गगनचुंबी इमारतें देखते ही देखते जमींदोज हो गई. नेपाल के काठमांडू में लापता हुए अब्दुल्लापुर निवासी पिता-पुत्र जावेद व समीर व नदीम जैदी ने बुधवार को घर लौटकर प्राकृतिक आपदा के दौरान हुई त्रासदी के मौके की हकीकत बयां की.

सकुशल घर लौटे

अब्दुल्लापुर के अहमदपुरा मोहल्ला निवासी जावेद अपने पुत्र समीर के साथ नेपाल में कपड़े की फेरी लगाने के लिए गए थे. शनिवार को आए भूकंप त्रासदी के बाद दोनों से परिवार के सदस्यों का संपर्क टूट गया था. बुधवार को दोनों लोग सकुशल घर लौट आए. उन्होंने बताया कि काठमांडू में रत्‍‌ना पार्क के पास कई बिल्डिंग एकाएक धाराशायी हो गई. जिस होटल में ठहरे थे वह भी पूरा तरह से नष्ट हो चुका था.

300 रुपये पानी व 100 रुपये का बिस्कुट

समीर ने बताया कि भूकंप के बाद हालत इस कदर बिगड़ गए कि खाद्य पदार्थो की लूट शुरू हो गई. दुकानदारों ने पानी की बोतल के बदले तीन सौ रुपये व बिस्कुट के सौ रुपये तक वसूले. पानी व बिस्कुट खाकर वहां जीवित रहना पडा.

बस का किराया 80 हजार

भूकंप त्रासदी में फंसे भारतीयों से बस वालों ने काठमांडू से बोर्डर तक की दूरी के लिए प्रति व्यक्ति दो हजार रुपये वसूल किए. जिसका किराया आमतौर पर पांच सौ से आठ सौ रूपये के बीच होता है. इस तरह से एक बस मालिक चालीस सवारियों को लेकर रवाना हुआ जिसने विपरीत परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए कुल 80 हजार रुपये वसूल किए.

केन्द्र सरकार ने की मदद

नेपाल में फंसे भारतीयों की सहायता के लिए केन्द्र सरकार ने प्रशंसनीय पहल की है. जावेद व समीर समेत बस सवारियों को सीमा पर केन्द्र सरकार की ओर से सहायतार्थ बस भेजी गई जिसमें किसी से कोई किराया नहीं लिया गया. सभी यात्रियों को दो दिनों का भोजन मुफ्त वितरित किया गया.