- सेल्फ फाइनेंस्ड प्राचार्य परिषद ने एग्जाम को लेकर यूनिवर्सिटी के निर्देशों का पालन करने में जताई असमर्थता

GORAKHPUR: एग्जाम को शुचितापूर्ण कराए जाने को लेकर गोरखपुर यूनिवर्सिटी तमाम जतन कर रहा है, लेकिन उनकी कोशिशें परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। एग्जामिनेशन रूम में सीसीटीवी कैमरे, वॉयस रिकॉर्डर और दूसरी सुविधाओं के लिए निर्देश देने वाली यूनिवर्सिटी को सेल्फ फाइनेंस प्राचार्य परिषद ने झटका दिया है। उन्होंने एग्जाम के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाओं के लिए धन मुहैया कराने की मांग की है। ऐसा न कर पाने की कंडीशन में उन्होंने एग्जाम कराने में असमर्थता जताई है। अगर ऐसा हुआ, तो यूनिवर्सिटी को या तो एग्जाम की शुचिता बरकरार रखने के बारे में सोचना पड़ेगा और या तो उन्हें खुद ही एग्जाम कराना पड़ेगा या फिर खुद सेंटर्स पर कैमरे की व्यवस्था करनी पड़ेगी।

बैठक कर जताया विरोध

यूनिवर्सिटी के निर्देश के बाद सेल्फ फाइनेंस प्राचार्य परिषद की मीटिंग पंत पार्क में ऑर्गनाइज की गई। इसमें 2019 एग्जाम पर डिस्कशन किया गया। उनका कहना था कि वित्त पोषित कॉलेजेज में बिना सीसीटीवी कैमरों के एग्जाम कराया गया, वहीं वहां सेल्फ सेंटर की व्यवस्था थी। इस पर यूनिवर्सिटी ने कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई। वहीं सेल्फ फाइनेंस कॉलेजेज से सौतेला रवैया अपनाया गया। इसलिए इस बार यूनिवर्सिटी सभी एग्जाम गवर्नमेंट और एडेड कॉलेजेज में कंडक्ट कराए। बैठक की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष डॉ। गोविंद शरण सिंह और संचालन डॉ। कृष्ण मुरारी पाल ने किया। इस मौके पर डॉ। एसएन चौबे, डॉ। केपी चौरसिया, डॉ। संजय पांडेय, डॉ। सर्वेश चंद्र शुक्ल, डॉ। अरुण कुमार श्रीवास्तव, डॉ। संजय मणि के साथ बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे।

यह भी रखी डिमांड -

- पिछले मांगपत्र पर की गई कार्रवाई के बारे में प्राचार्य परिषद को बताया जाए।

- एग्जामिनेशन में दिया जाने वाला मानदेय 13 साल पुराना है, जिसे बढ़ाया जाए।

- पीजी क्लासेज के शिक्षकों को इंटरनल एग्जामिनेशन के साथ ही मूल्यांकन और प्रैक्टिकल में भी जिम्मेदारी दी जाए।

- प्रैक्टिकल और वाइवा के लिए सभी क्लासेज के अनुमोदित टीचर्स को रखा जाए।

- आंसरशीट के मानदेय को बढ़ाया जाए।

- मार्कशीट डिस्ट्रिब्यूशन के लिए जो पैसे काटे जाते हैं, उसे सीधे प्रिंसिपल के खाते में भेजा जाए।

- कॉलेज डाटा यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन उपलब्ध है, ऐसी स्थिति में एक मुश्त खर्च दिया जाए।