वर्ल्ड के फेमस मोटिवेटर, एजुकेशनिस्ट व बिजनेसमैन शिव खेड़ा आज करोड़ों दिलों पर राज करते हैं। लोगों को मोटिवेशनल स्पीच के जरिए इंस्पायर करना उनकी हॉबी है। झारखंड के धनबाद शहर में जन्मे शिव खेड़ा ने कभी भी नहीं सोचा था कि वे इतने फेमस हो जाएंगे। शिव खेड़ा ने आई नेक्स्ट से शेयर किए अपने पर्सनल और प्रोफेशनल एक्सपीरिएंस

घर जैसा ही है जमशेदपुर
मेरा जमशेदपुर में यह दूसरा विजिट है इससे पहले मै 2004 में एक सेमिनार अटेंड करने यहां पहुंचा था। दुबारा, यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है, इट्स लाइक होम कमिंग टू मी। यहां के लोग काफी अच्छे हैं।

धनबाद है home town
मेरा जन्म धनबाद में हुआ है। मेरा बचपन भी वहीं बिता है। मैंने वहीं अपनी स्टडी भी की है। इसलिए इस स्टेट से काफी जुड़ा हुआ महसूस करता हूं। पूरा झारखंड व बिहार मुझे घर की तरह लगता है।


वो काफी मुश्किल दौर था
मेरे नाना जी की धनबाद में कोल माइंस हुआ करती थी। इस कोल माइंस में करीब  800 लोग काम किया करते थे। सब कुछ परफेक्ट था। मेरी शादी के ठीक चार महीने बाद ही हमारी कोल माइंस को नेशनलाइज घोषित कर दिया गया, जिससे माइंस गर्वमेंट प्रॉपर्टी बन गई। हम सभी रोड पर आ गए। घर की आर्थिक स्थिती काफी खराब हो गई थी। घर का सामान बेचने तक की नौबत आ गई थी। वो काफी बुरा दौर था हमारे लिए।

1975 को abroad गया
आर्थिक स्थिती खराब होने के दौरान मैैंने कई बार कार भी वाश किया। इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी में जॉब किया। अंत में मैंने इंडिया छोडऩे का डिसीजन लिया। 13 नवंबर 1975 को अब्रॉड गया। वहां मैंने डॉ नॉर्मन विंचेट का सेमिनार अटेंड किया। उनके स्पीच ने मेरे लाइफ में काफी बदलाव ला दिया।

तभी पहुंचा इस मुकाम में
लोगों के अंदर सेल्फ मोटिवेशन का होना काफी जरूरी है। जब तक आप खुद को  किसी चीज के लिए मोटिवेट नहीं करोगे, तब तक आप लाइफ में कुछ नहीं कर सकते। लाइफ में एक ऐसा दौर भी आता है, जब आप खुद को मोटिवेट करते हो। मैंने भी अपने आपको काफी मोटिवेट किया है, तभी इस मुकाम तक पहुंच पाया।

1993 में लिखना शुरू किया
मै हमेशा अच्छी बुक्स, बायोग्राफी व हिस्ट्री पढ़ा करता था। इन सभी से मुझे पॉजिटिव थिंकिंग व मोटिवेशन मिलता है। मैंने बुक लिखना 1993 में शुरूकिया। मेरी बुक इंटरनेशनली 1997 में पब्लिश हुई, वहीं 1998 को इसे इंडिया में पब्लिश किया गया। इसके बाद मेरी 12 बुक्स पब्लिश हुई। मुझे मेरी पहली बुक यू कैन विन और यू कैन सेल काफी पसंद हैं।

Positive attitude है जरूरी
मेरी कही गई लाइन- विनर्स डोंट डू डिफरेंटली, दे डू थिंग्स डिफरेंटली का आशय  है कि विनर्स हमेशा अपने काम के प्रति डेडिकेटेड रहते हैं, वहीं लूजर्स गीव अप कर देते हैं। विनर्स अपनी काम को आदत में शामिल कर लेते हैं। वहीं हारने वाले मेहनत करने से कतराते है। हमें पॉजिटिव एटीट्यूड के साथ काम करना चाहिए।

सच्चाई को accept करें
कहा जाता है कि इंडिया स्पीरिचुअल कंट्री है, लेकिन  इंडिया ने करप्शन में बहुत से वेस्टर्न कंट्री को पीछे छोड़ रखा है। यहां रोज लोग प्रवचन और ज्ञान धर्म की बातें तो करते हैैं, लेकिन इसे अपने दिनचर्या में इंप्लीमेंट नही करते। वहीं कुछ लोग धर्म को अपना बिजनेस बना कर लोगों को लूट रहे हैं और लोग भी अंधविश्वास के चक्कर में अपने आपको लूटावा रहे हैं। यह हमारे कंट्री का बहुत कड़वा सच है और इसे हमें एक्सेप्ट करना चाहिए।

बर्दाश्त नहीं होता
मेरे अंदर हमेशा करप्शन के अगेंस्ट चिंगारी सुलगती रहती है। इसलिए मैैं जब भी कोई गलत काम होते देखता हूं, तो मुझे बर्दाश्त नहीं होता है। हमारी कंट्री भ्रष्ट लोगों और नेताओं से भरी पड़ी है। अब समय आ गया है कि लोग करप्शन के अगेंस्ट अपनी आवाज उठाएं। अन्ना हजारे, किरण बेदी व अरविंद केजरीवाल जो भी कर रहे हैं, मैं उनका पूरा सपोर्ट करता हूं.  आज के यूथ को  पॉजिटिव एटीट्यूड के साथ अपना काम करना चाहिए।