तो समझो जिंदगी खत्म

कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसने हर किसी के मन में एक दहशत के रूप में जगह बना रखी है। इसके बारे में लोग यहां तक सोचते हैं कि एक बार इस बीमारी की चपेट में आए तो समझो जिंदगी खत्म। लेकिन, डॉक्टर्स का मानना है कि कैंसर को ठीक किया जा सकता है। अगर सही समय पर इनीशियल स्टेज के कैंसर का डिटेक्टशन कर लिया जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक करने के चांसेज 50 से 70 परसेंट तक बढ़ जाते हैं। मंडे को वल्र्ड कैंसर डे के दिन आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सिटी के कैंसर हॉस्पिटल्स के एक्सपट्र्स से बात करके कुछ ऐसे ही पहलुओं को जानने की कोशिश की।

ये है मुख्य वजह

जेके कैंसर हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ। अवधेश कुमार दीक्षित अवेयरनेस की कमी को इस बीमारी के भयावह रूप धारण करने के पीछे एक बड़ा कारण मानते हैं। बकौल डॉ। दीक्षित अवेयरनेस न होने के कारण ही हॉस्पिटल में जितने पेशेंट्स आते हैं, उनमें से 65 परसेंट पेशेंट्स कैंसर की सेकेंड या थर्ड स्टेज पर होते हैं। जबकि 8 परसेंट पेशेंट्स ऐसे होते हैं जो चंद दिनों के मेहमान होते हैं।

मिसकॉन्सेप्शंस पर न करें भरोसा

डॉ। हेमंत मोहन के मुताबिक सोसायटी में कई तरह के मिसकॉन्सेप्शंस फैले हुए हैं। शॉकिंग फैक्ट ये है कि अवेयरनेस न होने की वजह से लगातार कैंसर के पेशेंट्स की संख्या बढ़ रही है। इसमें यूथ की संख्या काफी ज्यादा है और इनमें सबसे ज्यादा ओरल कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। यूथ में अवेयरनेस की कमी और सोसायटी में मिसकॉन्सेप्शंस को देखते हुए ही इस बार वल्र्ड कैंसर सोसायटी ने अपनी थीम का नाम ‘कैंसर मिथ्स, गेट द फैक्टस’ तय किया है।

स्क्रीनिंग से हो सकता है बचाव 

कैंसर स्पेशलिस्ट्स के मुताबिक लगभग 280 तरह के कैंसर होते हैं। लेकिन, कुछ विशेष तरह के कैंसर ज्यादा कॉमन हैं। जैसे महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाता है। सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते केसेज के बारे में जेके कैंसर हॉस्पिटल की सीएमएस डॉ। निरूपमा सेठ ने बताया कि अगर अर्ली स्टेज पर ही डिटेक्शन कर लिया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है। इसके लिए स्क्रीनिंग के जरिये पैपटेस्ट और कॉल्पोस्कोपी की मदद ली जाती है।

मेडिटेशन से मिलती है शक्ति

डॉ। दीप्ति के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को कैंसर डिटेक्ट हो जाता है तो सबसे पहले उसकी विल पॉवर पर असर पड़ता है। वो पूरी तरह से टूट जाता है और उसके अंदर जीने की इच्छा खत्म होने लगती है। ऐसे में कैंसर पेशेंट के अंदर आत्मविश्वास पैदा करने की जरूरत होती है। इसके लिए हॉस्पिटल में मेडिटेशन सेशन चलाया जाता है। जिसमें पेशेंट्स को पॉजिटिव बातों और भजनों के माध्यम से आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

गवर्नमेंट का तोहफा

यूपी में कैंसर पेशेंट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्टेट गवर्नमेंट ने  लखनऊ एक वल्र्ड क्लास कैंसर हॉस्पिटल बनाने का डिसिजन लिया है। 500 करोड़ रुपये के इस प्रोजक्ट को हरी झंडी भी मिल चुकी है। वहीं इस मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 1000 करोड़ रुपये के इक्विपमेंट्स अलग से लगाए जा रहे हैं। इस हॉस्पिटल के नोडल एचओडी डॉ। एके दीक्षित ने बताया कि कानपुर स्थित जेके कैंसर हॉस्पिटल इसका सेटेलाइट हॉस्पिटल और रेफरल सेंटर बनाया जा रहा है। इस हॉस्पिटल में एक सेंट्रल फंडिंग कमेटी का भी गठन किया जाएगा।