रोडवेज बसों में एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक पार्सल के नाम पर पिस्टल से लेकर बम तक भेजे जा सकते हैं, नहीं होती कोई चेकिंग

रोडवेज अड्डे या रास्ते में कहीं से भी पार्सल रिसीव और आसानी से डिलीवर किया जाता है, बस देनी होती सप्लायर या रिसीवर के नाम की पर्ची

50 रुपये - छोटे पार्सल की सप्लाई का रेट

100 रुपये - वेट ज्यादा होने पर पार्सल की सप्लाई का रेट

500 रुपये - बड़ा पार्सल सप्लाई का रेट

Meerut। यूपी रोडवेज की बसों में पिस्टल से लेकर बम तक आसानी से पार्सल के नाम पर एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में सप्लाई किया जा सकता है। यकीन मानिए आपके पार्सल में जो भी हो उसे चेक नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं बिना किसी रिस्क के पार्सल 50 से 100 के खर्च पर अपने डेस्टिनेशन पर आसानी से पहुंच जाएगा। दरअसल, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब भैंसाली डिपो पर रोडवेज बसों में बिना जांच के पार्सल की सुविधा को परखा तो ये सच खुलकर सामने आया।

पार्सल जांच भी नहीं

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने गाजियाबाद, मवाना, मुजफ्फरनगर, आनंद विहार जाने वाली बसों के कंडक्टर से पार्सल ले जाने की बात कही तो सभी कंडक्टर तुरंत पार्सल ले जाने के लिए राजी हो गए। इतना ही नहीं अधिकतर बस कंडक्टर्स की एक्सपरटीज देखकर टीम के सदस्य उस समय दंग रह गए, जब उन्होंने कुछ सेंकेड के लिए पार्सल को देखा और हाथ में लेकर उसका वेट करते हुए सप्लाई का रेट बता दिया। यहां चौकाने वाली बात ये थी कि किसी ने भी ये जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर पार्सल के अंदर क्या है।

केस 1

सबसे पहले टीम ने भैंसाली डिपो पर हस्तिनापुर जाने के लिए खड़ी रोडवेज की बस में परिचालक से पार्सल ले जाने की बात कही तो उसने बिना एक पल की देर किए हामी भर दी। साथ ही उसने हमारी तरफ हाथ बढ़ाया तो हमने पार्सल उसके हाथ में थमा दिया। परिचालक ने वजन का अंदाजा लगाया और 80 रुपये का रेट हमें सप्लाई के लिए बता दिया। इस पर रिपोर्टर ने रूपये ज्यादा बताते हुए मोल-भाव किया तो परिचालक 50 रुपये में फाइनली पार्सल ले जाने के राजी हो गया। पार्सल के अंदर क्या है क्या है ये जानने की परिचालक ने जरा भी कोशिश नहीं की।

केस 2-

इसके बाद टीम ने गाजियाबाद जाने वाली बस में परिचालक से पार्सल सप्लाई की बात की तो उसने 100 रुपये रेट बताया। साथ ही पार्सल रिसीव करने वाले का नाम और नंबर पार्सल पर लिखा होने की शर्त भी बता दी। मोलभाव करने पर एक यात्री के टिकट के दाम में पार्सल ले जाने के लिए परिचालक ने हामी भर दी। पार्सल के अंदर क्या है क्या है ये जानने की इस परिचालक ने भी कोशिश नहीं की।

केस 3

यही हाल मुजफ्फरनगर जाने वाली बस में रहा। यहां परिचालक ने रिपोर्टर से पूछा कि पार्सल में क्या है तो रिपोर्टर ने बताया कि पार्सल में गिफ्ट आइटम है, जो कि शिवचौक पर सप्लाई करना है। इस पर कंडक्टर ने तुरंत पार्सल ले लिया और 50 रुपये रेट बता दिया। रिपोर्टर ने जब पूछा कि पार्सल डिलीवरी का कोई बिल या रसीद मिलेगी तो कंडक्टर ने टिकट लेने को कह दिया।

केस 4

आनंद विहार जाने वाली बस में परिचालक से बातचीत के दौरान उसने बताया कि इसके लिए 100 रुपये लगेंगे। पूरी गारंटी के साथ आपका सामान डिलीवर हो जाएगा। रिपोर्टर ने जब रेट पर असहमति जताई तो उसने अंदर रखे पार्सल के सामान को दिखाया, जिसकी कोई देख-रेख करने वाला नहीं था। कंडक्टर ने कहा कि आपके सामान को सही जगह पर पहुंचाने की पूरी गारंटी 100 रूपये के साथ ही है।

कमाई का जरिया बने पार्सल

रोडवेज बसों में माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की एवज में बस के ड्राइवर या कंडक्टर माल के वजन के हिसाब से बकायदा डिलीवरी चार्ज वसूलते हैं और बदले में माल भेजने वाले व्यापारी को पर्ची दे दी जाती है। इसमें छोटी से छोटी चीज के लिए कम से कम 50 रुपये से लेकर बड़े पार्सल के लिए 500 रुपये तक वसूले जाते हैं। अधिकतर बसों में इस तरह के पार्सल ड्राइवर की सीट के पास या बस के केबिन में ही रखे जाते हैं।

पार्सल काउंटर की सुविधा

सोहराबगेट या भैंसाली डिपो से चलने वाली अधिकतर रोडवेज बसों में ड्राइवर व कंडक्टर बस डिपो परिसर में ही पार्सल को खुलेआम बस में रखवा लेते हैं। इसके अलावा बीच सफर में भी जगह-जगह बस रोककर चोरी छिपे पार्सल बस से सप्लाई किए जाते हैं। बशर्ते सप्लायर या रिसीवर के नाम की पर्ची कंडक्टर या परिचालक को देनी होती है। हालांकि पार्सल डिलीवरी के लिए रोडवेज ने पार्सल बुकिंग व्यवस्था बनाई हुई है लेकिन उसमें किराया अधिक होता है और टैक्स से बचने के लिए सीधा कंडक्टर से संपर्क कर लोग मनमर्जी का पार्सल कहीं भी डिलीवरी के लिए कहीं से भी सप्लाई करवा देते हैं।

रोडवेज बसों के माध्यम से बिना बुकिंग के किसी भी प्रकार के पार्सल की डिलीवरी अवैध है। पार्सल काउंटर के माध्यम से पार्सल बुकिंग का नियम है। कई बार हमारे प्रवर्तन दल ने ऐसे माल को जब्त किया है। अब बस डिपो पर भी चेकिंग की जाएगी।

नीरज सक्सेना, आरएम