212 नए मरीज मिलने से सनसनी
एक्टिव फाइंडिंग केस अभियान के दौरान मिले मरीज
बीमारी की नहीं थी जानकारी, विभाग कराएगा इलाज
Meerut। 2025 तक देश को टीबी फ्री घोषित करना है, लेकिन ग्राउंड लेवल की हकीकत कुछ और कहानी कह रही है। छोटे-छोटे मोहल्लों और मलिन बस्तियों में इलाज तो दूर, मरीजों को अपनी बीमारी तक की जानकारी नहीं हैं। यही नहीं छुपे हुए ये मरीज दूसरे लोगों को भी संक्रमित कर रहे हैं। ये खुलासा टीबी विभाग की एक्टिव फाइंडिग केस अभियान की रिपोर्ट में हुआ है। अभियान में 212 छुपे हुए मरीज विभाग को मिले हैं। इनकी जांचे करवाने के बाद अब इनका सरकारी इलाज शुरु करवाया जाएगा।
ये है रिपोर्ट
जिला टीबी विभाग की ओर से दस दिन का अभियान चलाया गया था। इस दौरान 159 टीमें बनाकर 4 लाख लोगों की आबादी में सर्वे करवाया गया। इसमें से 2205 संदिग्ध टीबी मरीजों के सैंपल कलेक्ट किए गए। इसमें से 212 मरीज टीबी की बीमारी से ग्रस्त पाएं गए हैं। ये सभी ऐसे मरीज हैं जिन्हें टीबी के बारे में जानकारी ही नहीं थे।
नहीं दे रहे डाटा
देश से टीबी को जड़ से खत्म करने की कवायद में जुटी सरकार को प्राइवेट स्टोर्स भी जमकर चूना लगा रहे हैं। प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स को टीबी के मरीजों का अनिवार्य रूप से रिकार्ड देने के निर्देशों के बावजूद किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। विभाग के पास रजिस्टर्ड 1750 में से 50 मेडिकल स्टोर्स भी मरीजों का डाटा नहीं दे रहे हैं। जबकि डॉक्टर्स की बात करें तो रजिस्टर्ड करीब 300 डॉक्टर्स में से भी करीब 200 प्राइवेट डॉक्टर्स ही विभाग को मरीजों का रिकार्ड दे रहे हैं।
एचआईवी का भी खतरा
एक्सपर्ट्स के मुताबिक टीबी के मरीजों में एचआईवी का खतरा भी बढ़ जाता है। अधिकारियों के मुताबिक एचआईवी और टीबी एक दूसरे से जुडे़ हुए हैं। मरीजों में अगर टीबी के साथ एचआईवी पॉजिटिव मिलता है तो उनको दोनों बीमारियों का इलाज करवाना पड़ता है। जिला टीबी विभाग में अभी ऐसे 112 से अधिक मरीज दर्ज हैं। दोनों ही बीमारियों में इम्यून सिस्टम बिगड़ जाता है। इसलिए एक बीमारी मिलने के बाद दूसरे की जांच जरूरी होती है।
ये हैं टीबी के लक्षण
थकान, कमजोरी, भूख न लगना, वजन कम होना, रात को सोते वक्त बहुत अधिक पसीना आना, लगातार बुखार रहना।
सांस लेने में तकलीफ होना, खांसने में तकलीफ होना
बलगम के साथ खून आना, आवाज में बदलाव
चेस्ट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
दिमाग की झिल्लियों में टीबी होने पर सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, झटके लगना और उल्टियां होना।
टीबी से बचाव के तरीके
छोटे बच्चों को पैदा होने के छह महीने के अंदर बीसीजी का टीका जरूर लगवा दें ।
मरीज में टीबी की पुष्टि होने पर घर के बाकी सदस्य उससे दूरी बनाकर रखें।
मरीज के बर्तन, तौलिया व कपड़े बाकी लोगों से अलग रखें, खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा रखे।
रोगी को नियमित दवा के साथ पौष्टिक आहार जरूरी है।
टीबी के मरीजों को ढूंढने के लिए विभाग हर तीन महीने में अभियान चला रहा है। हमारी कोशिश है कि हर एक मरीज तक इलाज पहुंचाया जाएं ताकि जल्द से जल्द बीमारी को खत्म किया जा सके
डॉ। एमएस फौजदार, जिला टीबी अधिकारी, मेरठ
ये है मरीजों की स्थिति
वर्ष - सरकारी अस्पताल- प्राइवेट अस्पताल
2017 - 7023 - 1924
2018 - 8319 - 4381
2019 - 8707 - 4911