- एक्लेम्सिया पीडि़त महिला की जिला महिला अस्पताल की डॉॅक्टर ने कराई नॉर्मल डिलीवरी

- बेहोश हो गई थी महिला, दिया जुड़वा बच्चों को जन्म

बरेली : सरकारी अस्पताल का नाम सुनकर अक्सर लोगों के जेहन में खराब सुविधाएं और लापरवाही संबंधी कई तरीके की बातें आती हैं। लेकिन शायद यह केस कुछ हद तक लोगों की मानसिकता बदले। सैटरडे सुबह करीब साढ़े दस बजे नवाबगंज के पचपेड़ा गांव निवासी बादशाह ने पत्‍‌नी सपना को प्रसव पीड़ा होने पर भोजीपुरा सीएचसी में भर्ती कराया जहां सपना की जांच करने पर पता चला कि उसका हीमोग्लोबिन बहुत कम है। सपना की हालत बिगड़ती देख मैटर्न गंभीर हालत में उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंची। इस दौरान ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर वर्षा अग्रवाल ने उसकी जांच की तो ब्लड प्रेशर सामान्य से बहुत अधिक था, जिस कारण सपना एक्लेम्सिया में चली गई। फौरन ही उसको ब्लड लगाया गया। लेकिन तब तक वह बेहोश हो चुकी थी। डॉ। वर्षा ने यूटराइन बैलून टैबनॉयड तकनीक का इस्तेमाल कर एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसकी नॉर्मल डिलीवरी कराई। एक घंटे तक चली इस प्रक्रिया के बाद सपना ने दो जुड़वा बच्चे को जन्म दिया। डॉक्टर और टीम के इस प्रयास की सभी ने सराहना की।

क्या होती है यूबीटी तकनीक

इस तकनीक का इस्तेमाल यूटरस से लगातार हो रही ब्लीडिंग रोकने के लिए किया जाता है। इसमें पाइप के माध्यम से बैलून नुमा थैली को यूटरस में डाला जाता है जो ब्लड वेसेल्स पर प्रेशर डालकर ब्लीडिंग रोक देता है।

क्या होती है एक्लेम्सिया

इस कंडीशन में मरीज के दिमाग में सूजन आती है जिस कारण उसे दौरे पड़ने लगते हैं और मरीज बहोश हो जाता है। हाई ब्लड प्रेशर हो जाने पर कई बार मरीज की मौत तक हो जाती है।

महिला अस्पताल का पहला केस

जिला महिला अस्पताल में एक्लेम्सिया कंडीशन में सफल नॉर्मल डिलीवरी का यह पहला केस है। पहले भी इस तरह के केस आए हैं, लेकिन मरीज को अपनी जान ही गंवानी पड़ी थी।

बच्चों कों देख खिला चेहरा

मातृत्व सुख गंवाने के करीब पहुंच चुकी सपना का संडे सुबह खुशी का ठिकाना न रहा जब उसने अपने दोनों बच्चों को अपने पास लेटे देखा। उसका कहना है कि मेरे लिए तो डॉक्टर वर्षा किसी भगवान से कम नहीं हैं।

इस टीम ने लड़ी जंग

डिलीवरी के समय डॉ। वर्षा अग्रवाल के साथ नर्स स्वाति, तनु, अब्रेन और स्टाफ नर्स सरिता व वार्ड आया मुन्नी देवी का सहयोग रहा।

वर्जन

सपना जब अस्पताल पहुंची तो वह एक्लेम्सिया में थी, वही उसका हीमोग्लोबिन भी कम था, डॉक्टर ने साहस दिखाया और यूबीटी का यूज कर मरीज के साथ दो नवजातों को नई जिंदगी दी, पूरी टीम को पुरस्कृत किया जाएगा। यह अभी तक का पहला केस है जिसमें मरीज की जान नही गई।

डॉ। अलका शर्मा, सीएमएस।