- भारत से नेपाल बड़े पैमाने पर भेजा जाता है खाद्य-पदार्थ और फल-सब्जी

- बॉर्डर से इंट्री करने वाली गाडि़यों के नंबर नहीं हो पा रहे ऑनलाइन, फंस जा रहा माल

GORAKHPUR: नेपाल बॉर्डर पर सर्वर डाउन होने से जिले और आसपास के फल-सब्जी व खाद्य सामग्री व्यापारियों की सांसत बढ़ गई है। आए दिन सर्वर डाउन होने से बॉर्डर से इंट्री करने वाली गाडि़यों के नंबर ऑनलाइन नहीं हो पा रहे हैं जिसके चलते माल भेजने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इससे एक तरफ व्यापारियों को लाखों का नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ बॉर्डर पर एक दो दिन तक माल लदी गाडि़यां खड़ी हो जा रही हैं। बता दें, केवल गोरखपुर मंडी से 30 टन फल रोज नेपाल जाता है। इधर ऑनलाइन व्यवस्था लड़खड़ाने के चलते माल खराब होने के साथ आर्थिक नुकसान हो रहा है।

बिना नंबर ऑनलाइन किए इंट्री नहीं

बॉर्डर से सटे आसपास की बड़ी मंडी गोरखपुर और बिहार से बड़े पैमाने पर नेपाल में कच्चे माल की सप्लाई होती है। लेकिन बॉर्डर पर ऑनलाइन व्यवस्था लड़खड़ाने की वजह से माल लदी गाडि़यां बॉर्डर पर ही फंस जा रही हैं और उन्हें इंट्री नहीं मिल पा रही। सर्वर डाउन होने की वजह से भारत के सब्जी व फल कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उधर नेपाल का कहना है कि बॉर्डर से जितनी भी गाडि़यां नेपाल में इंट्री करती हैं उनके नंबर ऑनलाइन कर ही सीमा के अंदर प्रवेश दिए जाता है। यदि गाड़ी नंबर ऑनलाइन नहीं है तो उसे दूसरे दिन अपलोड कर भेजा जाता है।

यहां से जाते हैं सब्जी-फल

सोनौली बॉर्डर से डेली छोटे-बड़े सैकड़ों मालवाहक वाहनों से गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, बस्ती, कानपुर, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और कनार्टक आदि जिलों से फल-सब्जी नेपाल भेजा जाता है। व्यापारियों का कहना है कि नेपाल बॉर्डर पर गाडि़यां खड़ी होने की वजह से समय व पैसे दोनों का नुकसान हो रहा है।

इन खाद्य पदार्थो का होता है एक्सपोर्ट

भारत से नेपाल में ज्यादातर आम, सेब, लीची, मौसमी, संतरा, अंगूर, तरबूज जैसे फल और लौकी, परवल, हरा मिर्चा, टमाटर, बैंगन, आलू जैसी सब्जियों के 100 ट्रक आते हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर मछली भी भेजी जाती है।

पहले भी लग चुके बैन

नेपाल सरकार की ओर से लैब स्टेट होने के बद ही फल और सब्जी बेचने की अनुमति दी गई थी। नेपाल सरकार के इस आदेश के बाद बॉर्डर पर कच्चे माल से लदे सौ ट्रकों को रोक दिया गया था। बाद में व्यापारियों के आग्रह पर नेपाल सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए रोक हटा ली थी।

ऑनलाइन में भी दिक्कत

व्यापारियों का कहना है कि नेपाल सरकार ने बॉर्डर में भंसार सीमा शुल्क की व्यवस्था की है लेकिन अभी सभी व्यवस्थाएं ऑनलाइन हो चुकी हैं। माल जहां से नेपाल के लिए जाता है व्यापारी तत्काल बॉर्डर पर अपने गाड़ी नंबर को नोट करवा कर ऑनलाइन करवा देता है। जिससे गाड़ी पहुंचते ही उसे इंट्री मिल जाए। लेकिन हर रोज सर्वर डाउन होने की वजह से कई गाडि़यों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता। जिसकी वजह से गाड़ी बॉर्डर पर ही खड़ी हो जा रही है। जिससे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

- भारत के अन्य प्रदेशों से भेजे जाने वाले माल - 1 करोड़

- भारत से नेपाल भेजी जाती है सब्जी प्रतिदिन - 20 लाख

- फल का बिजनेस प्रतिदिन - 5 लाख

- मछली का कारोबार प्रतिदिन - 4-5 लाख

- प्रतिदिन नेपाल जाती है सब्जियां - 100 क्विंटल

- नेपाल बॉर्डर पर खड़े है कच्चा माल लदे ट्रक - 100

कोट्स

गाड़ी नंबर का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन न होने से मछली लदी गाडि़यों को सीमा पर ही रोक दिया जा रहा है। ज्यादातर ट्रक बॉर्डर पर ही खड़े हो जा रहे हैं। इससे व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

शरफराज, मछली

समय से माल लदी गाडि़यों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एजेंट द्वारा करवा दिया जाता है। बाद में पता चलता है कि सर्वर डाउन होने की वजह से नंबर रजिस्टर्ड नहीं हुआ है। इससे भारी नुकासना उठाना पड़ रहा है। साथ ही ज्यादातर माल खराब हो जाता है।

अवध गुप्ता, अध्यक्ष फल-सब्जी एसोसिएशन

भारत से नेपाल में पिछले कई साल से फल का कारोबार कर रहे हैं। बीच-बीच में नये नियम लागू होने के चलते बिक्री पर असर पड़ा। इधर माल लदे ट्रकों का नंबर ऑनलाइन करने के बाद ही उन्हें सीमा के अंदर जाने की अनुमति है। रजिस्ट्रेशन न होने से बॉर्डर पर ही गाड़ी खड़ी कर दी जा रही है।

राजन गुप्ता, व्यापारी

आईटी विभाग से संपर्क कर ऑनलाइन व्यवस्था को दुरुस्त कराने का प्रयास किया जाता है। इस समय ठीक है। कभी-कभी रजिस्ट्रेशन समय से कराने में दिक्कत आती है जिसे ठीक करवाया जाता है।

कमल भटराई, कस्टम चीफ भैरहवा