RANCHI: झारखंड के प्रशासनिक महकमे में इन दिनों एक अनार और सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। इसकी वजह सबसे बड़े प्रशासनिक पद चीफ सेक्रेटरी को लेकर चल रहे नामों की चर्चा है। राज्य के मौजूदा चीफ सेक्रेटरी राजीव गौबा दिल्ली की राह पकड़ने को उत्सुक हैं। फ्क् मार्च को केन्द्र में नई जगह भी बन रही है, उसी में से किसी एक जगह पर गौबा को एकोमोडेट किया जाएगा। ऐसे में उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। उसकी तलाश भी चल रही है। वहीं, सचिवालय में बैठने वाले हर आईएएस अधिकारी के चैम्बर में इसी पर चर्चा छिड़ी है।

सीएस के 8 कैडर-नॉन कैडर पोस्ट

फिलहाल झारखण्ड में मुख्य सचिव के चार कैडर व इतने ही नॉन कैडर पोस्ट भी हैं। इनमें सुधीर प्रसाद, विष्णु कुमार, राजबाला वर्मा, एनएन पाण्डेय, यूपी सिंह, पीके जाजोरिया, राजीव गौबा व सजल चक्रवर्ती के नाम शामिल हैं। इनमें से विष्णु कुमार रिटायरमेंट के करीब हैं, तो गौबा दिल्ली की गाड़ी पकड़ने के लिए प्रयासरत हैं। विष्णु कुमार की जगह दिल्ली में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर गई झारखण्ड कैडर की अधिकारी स्मिता चुग फ्क् मार्च को वहां से रिलीव हो रही हैं। उन्होंने क् अप्रैल से झारखण्ड सरकार में अपने योगदान के बारे में सरकार को पहले ही सूचित कर दिया है। ऐसे में विष्णु कुमार के रिटायर होते ही चुग यहां उस कैडर में आ जाएंगी।

दौड़ में अमित खरे भी

साथ ही गौबा के यहां से निकलते वित्त विभाग में तैनात अमित खरे को उस खाली जगह में एडजस्ट कर लिया जाएगा। अमित खरे वही अधिकारी हैं, जिन्होंने बिहार के बहुचर्चित करोड़ों रुपए के पशुपालन घोटाले के पर्दाफाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सूबे में नई सरकार बनने के बाद उन्हें वापस झारखण्ड बुला लिया गया और वित्त विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई। खरे भी सीएस पद के प्रबल दावेदार हैं। सरकार ने वैसे भी उनके ऊपर काफी जिम्मेदारी दे रखी है। हालांकि, हाल के अडानी मामले में उनकी भी अप्रत्यक्ष रूप से किरकिरी हुई है। दरअसल, अमित खरे ने गोड्डा में अडानी के प्लांट के लिए ली जानेवाली जमीन की दर निर्धारण में अहम् भूमिका निभाई थी। इसे लेकर झारखण्ड विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। तीन चार दिनों तक विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही को प्रभावित किया। लेकिन बावजूद इसके खरे अभी रेस में हैं।

राजबाला भी हैं रेस में

सीएस की इस दौड़ में शुरुआत में रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट की सेक्रेटरी राजबाला वर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन अब उनकी दावेदारी कमजोर हो गई है। विधानसभा में राजबाला वर्मा के ऊपर आरोप लगा कि वो अपने चुनिन्दा ठेकेदारों को काम देने का प्रयास करती हैं। हालांकि, क्98फ् बैच की आईएस अधिकारी राजबाला वर्मा फॉर्मर आईएएस ज्योति भ्रमर तुबिद की पत्‍‌नी हैं। तुबिद राज्य में लंबे समय तक गृह सचिव रहे हैं। डेढ़ साल पहले झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने प्रशासनिक सेवा से वीआरएस लेकर बीजेपी के टिकट पर चाईबासा विधानसभा चुनाव भी लड़ा, जिसमें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद भी जेबी तुबिद बीजेपी में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की गुड बुक में वह हैं। ऐसे में उनकी पॉलिटिकल एप्रोच का लाभ पत्‍‌नी राजबाला वर्मा को मिल सकता है।

यूपी सिंह की चर्चा जोरों पर

इसके बाद मुख्य सचिव पोस्ट के लिए जिस नाम की चर्चा हो रही है, वो उद्योग विभाग के प्रधान सचिव उदय प्रताप सिंह का है। क्98ब् बैच के आईएएस यूपी सिंह को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस झारखण्ड आते हीं मुख्य सचिव रैंक में प्रमोट कर दिया गया है।