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क्कन्ञ्जहृन्(10 स्द्गश्चह्ल): 13 वर्षों तक सलाखों के पीछे रहे सिवान के 'सरकार' और एक्स एमपी मो। शहाबुद्दीन शनिवार की सुबह भागलपुर केंद्रीय जेल से रिहा कर दिए गए। चर्चित राजीव रौशन मर्डर केस में पटना हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद उनकी रिहाई हुई। उनके बाहर आने पर एक तरफ जश्न मनाया जा रहा थो तो दूसरी तरफ कई लोग खौफजदा भी हैं। क्योंकि बिहार में यूं तो कई माफिया हुए लेकिन एक नाम ऐसा है जो पैदा तो सिवान के प्रतापपुर में हुआ लेकिन देखते ही देखते सिवान से निकलकर पूरे बिहार में छा गया। वो नाम है शहाबुद्दीन।

लालू ही मेरे नेता

सफेद कुर्ते-पायजामे में जेल से रिहा होते ही शहाबुद्दीन ने विवादित बयान देकर बिहार के गलियारों में राजनीति को नया रंग दे दिया। उन्होंने कहाकि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ही मेरे नेता है। रही बात सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की तो वे परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं। क्योंकि सब जानते हैं कि मुझे फंसाया गया है।

नहीं बदलूंगा इमेज

शहाबुद्दीन ने कहाकि मुझे आतंक का पर्याय कहना गलत है। 13 सालों से घर नहीं गया हूं। 11 सालों से किसी से मिला नहीं हूं। इसलिए यह कहना ठीक नहीं होगा कि, कोई मुझसे डरा हुआ है। हां, ये बात सही है कि पिछले 26 साल से लोगों ने मुझे इसी रूप में देखा है और स्वीकार किया है। इसलिए इस इमेज को बदलने की कोशिश नहीं करूंगा। रिहाई के बारे में पूछे जाने पर कहा कि, मेरी रिहाई से राजनीति का कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट ने अपनी न्यायिक प्रक्रिया पूरी नही की है।

जगह-जगह स्वागत और नारे

पटना से भागलपुर यानी 370 किमी के बीच सैकड़ों जगह पर शहाबुद्दीन का स्वागत किया गया। हर जगह खुशियों के पटाखे फोड़े गए। शहाबुद्दीन जिंदाबाद के नारे लगाए गए। जो लोग शहाबुद्दीन से नहीं मिल सके वे उनकी गाडि़यों और काफिले पर ही फूल-माला फेंक खुशी जताई। खगडि़या में कुछ देर बिताने के बाद उनका काफिला आगे बढ़ा। इसके बाद वैशाली जिले के चिकनौटा में रूका। यहां शहाबुद्दीन कार से उतरे फिर दरगाह पर गए। यहां भी जमकर उनका स्वागत किया गया। इसके बाद वैशाली जिले के कावा गांव पहुंचे। इस तरह मुजफ्फपुर होते हुए 6 घंटे में शहाबुद्दीन सिवान होकर हुसैनगंज प्रखंड के प्रतापपुर स्थित पैतृक गांव पहुंचे।

4 मंत्री, 30 एमएलए और 1300 गाडि़यां

शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने की सूचना मिलते ही तीन दिन पहले से उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं। उनकी पत्नी हिना की मानें तो साहब के स्वागत के लिए प्रतापपुर में जबरदस्त तैयारी की गई थी। दूसरी तरफ नीतीश सरकार में आरजेडी के भी कई मंत्री हैं। इस लिहाज से शहाबुद्दीन की रिहाई से आरजेडी खेमे में भी जबरदस्त खुशी देखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक आरजेडी के करीब 30 विधायक और करीब 4 मंत्रियों ने जेल से निकलने के बाद शहाबुद्दीन का स्वागत किया। साथ ही सिवान तक उन्हें लाने के लिए करीब 100 लग्जरी गाडि़यों की व्यवस्था की गई थी। हालांकि सूत्र ये भी बताते हैं कि इन 100 गाडि़यों के अलावा करीब 1200 और गाडि़यों की व्यवस्था की गई थी।

एक नजर

-सुबह 7.15 भागलपुर जले से बाहर आए।

-उनसे मिलने के लिए भगदड़ मच गई

-धक्कामुक्की में कुछ मीडियाकर्मियों के कैमरे गिरे।

-कुछ समर्थकों को चोटें भी आई।

- 1300 गाडि़यों के साथ सिवान के लिए रवाना हुए।

कब-कब क्या हुआ

-16 अगस्त 2004 को सिवान के गोशाला रोड में रहनेवाले कारोबारी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों सतीश और गिरीश का अपहरण हुआ।

-सतीश और गिरीश के बड़े भाई राजीव रौशन ने गवाही दी कि शहाबुद्दीन के आंखों के सामने मेरे दोनों भाईयों को तेजाब में डुबोकर मार डाला गया था।

-हाईकोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन के खिलाफ मामले की सुनवाई शुरू हुई।

-16 जून 2014 को राजीव की गोली मार कर हत्या कर दी गई

-इस हत्या में शहाबुद्दीन के साथ उसके बेटा ओसामा को भी आरोपी बताया गया।

-शहाबुद्दीन नवंबर 2005 से ही जेल में बंद थे, लेकिन तेजाब हत्याकांड में हाईकोर्ट ने फरवरी में ही बेल दे दी थी।

-सिवान की कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई

-शहाबुद्दीन ने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की।

-बचाव पक्ष ने कहा कि, शहाबुद्दीन पर हत्या करने का सीधा आरोप नहीं है। क्योंकि जब राजीव रौशन की हत्या हुई तब वे जेल में थे। उनपर हत्या में शामिल होने का आरोप है।

-इसके बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।