Shaheed Diwas 2023: स्‍लोगंस यानी नारे। ये वो होते हैं, जो देश के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून पैदा कर देते हैं। ये नारे ही हैं, जिन्‍होंने लोगों के दिलों में जोश भरकर देश को आजाद करा दिया है। नारों की बात इसलिए हो रही है, क्‍योंकि आज यानी 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर हम आपको वो नारे बता रहे हैं, जिन्‍होंने देश के शहीदों को अमर कर दिया।

सरफ़रोशी की तमन्ना...

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है। इसे सुनकर हो सकता है शायद आपके सामने स्‍वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल का चेहरा याद आ जाए, लेकिन असल में इसके रचयिता रामप्रसाद बिस्मिल नहीं, बल्कि शायर बिस्मिल अज़ीमाबादी थे. बिस्मिल अज़िमाबादी एक उर्दू कवि थे। 1921 में उन्होंने "सरफरोशी की तमन्ना" नामक देशभक्ति कविता लिखी थी। यह कविता राम प्रसाद बिस्मिल ने मुकदमे के दौरान अदालत में अपने साथियों के साथ सामूहिक रूप से गाकर लोकप्रिय भी बनाया।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। ये नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से 'आजाद हिन्द फौज' का गठन किया था। ये नारा आगरा से ही निकला था।

स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है

स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा'। ये नारा दिया था अंग्रेजों की नाम में दम करने वाले स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने. इस नारे पूरे देश में क्रांति की मशाल जला दी थी।

इंकलाब जिंदाबाद

इंकलाब जिंदाबाद का नारा मौलाना हसरत मोहानी ने 1921 में दिया था। हालांकि इस नारे को भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों ने दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रेल 1929 को बम फोड़ते वक़्त बुलंद किया था।

जय जवान जय किसान

जय जवान जय किसान भारत का एक प्रसिद्ध नारा है। यह नारा सबसे पहले 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था।

अंग्रेजों भारत छोड़ो

23 सितंबर 1903 को जन्मे स्वतंत्रता सेनानी युसूफ मेहरली ने Quit India यानी भारत छोड़ो का नारा दिया था. इसी नारे को बाद में महात्‍मा गांधीजी ने 1942 में भारत की आजादी के लिए छेड़े गए सबसे बड़े आंदोलन के लिए अपनाया.

सारे जहां से अच्‍छा हिंदुस्‍तां हमारा

सारे जहां से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है। इसे प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल ने 1905 में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था।

दुश्‍मन की गोलियों का सामना हम करेंगे...

दुश्‍मन की गोलियों का सामना हम करेंगे, आजाद हैं आजाद ही रहेंगे। ये नारा भारत की आजादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने दिया था।

इसलिए मनाया जाता है शहीद दिवस

23 मार्च को क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी. इसलिए 23 मार्च को इन अमर शहीदों के बलिदान को याद कर शहीद दिवस मनाया जाता
है.

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