कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Shani Jayanti 2021 शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि जयंती से अच्छा कोई और दिन नहीं है। शनिदेव को न्याय के देवता कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव जी का जन्म जेष्ठ कृष्ण अमावस्या को हुआ था, इसी कारण इस दिन शानिदेवजी का जन्मदिन शनि जयंती के रूप में मनाते हैं।ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार नवग्रहों में शनि ही एक मात्र ऐसे ग्रह हैं जिनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। शनि अमावस्या के संबंध में यह नियम है कि वर्षभर में जो अमावस्या केवल शनिवार को होती है, उसे शनि अमावस कहते हैं। इस वर्ष 10 जून 2021,गुरुवार को उदया तिथि अनुसार अमावस्या है। जेष्ठ माह के कृष्ण पक्षीय अमावस्या को शानिदेवजी की जयंती है।

पितरों को प्रसन्न करने का भी दिन
इस दिन रोहिणी नक्षत्र, धृति योग बन रहा है। इसी दिन स्त्रियों के लिए विशेष वट सावित्री व्रत भी है। देव पितृ कार्य अमावस्या भी होने के कारण पितरों को प्रसन्न करने का भी दिन है। शनि भगवान कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि देव उन्हीं को नुकसान पहुंचाते हैं जिनके कर्म बुरे होते हैं। वहीं जिनके कर्म अच्छे होते हैं शनि भगवान उनके साथ अच्छा ही करते हैं। शनिदेव को तामसिक प्रवृत्ति के लोगों और भोग विलास की वस्‍तुओं से सख्‍त नफरत होती है। ऐसे में इस दिन भूल से भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।इस दिन परिवार के साथ काली उड़द की खिचड़ी बनाकर खाएं। इससे शनि की ग्रहदशा भी दूर होती है।

शनि जयंती के दिन क्या करें
इस दिन सूर्यास्त के बाद स्नानादि कर पश्चिम दिशा की ओर एक चौकी रखकर उस पर काला वस्त्र बिछायें और उस पर नीले लाजवन्ती के पुष्प रखें। इसके साथ ही पीपल के पत्ते पर शनि यंत्र स्थापित करें,सरसों के तेल का दीपक,धूप जलायें, नैवेध चढ़ाने के लिए काले उरद का हलवा,काले तिल के लड्डू,अक्षत,गंगाजल, काले रंग के फूल आदि रखें।चौकी के चारों ओर तिल के तेल से भरी कटोरियां रखें।इसमें काले तिल के दाने,एक सिक्का,एक पंच मुखी रूद्राक्ष डालें।शनि के मंत्रों का जाप,साधना आदि करने के उपरांत सात अथवा ग्यारह शनिवार को इन कटोरियों में अपने चेहरे की छाया देखने के बाद शानिदेवजी के स्मरण के साथ शनि का दान लेने वालों को दें। शनिदेवजी दुर्घटना, गंभीर रोग,अकाल मृत्यु, शास्त्राघात से बचाते हैं।

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