Shani Sade Sati 2020: शनिदेव 24 जनवरी 2020 से 29 अप्रैल 2022 तक मकर राशि में भ्रमण करते हुए 29 अप्रैल 2022 से अपनी ही मूलत्रिकोण राशि में प्रवेश कर 12 जुलाई 2022 तक यहां रहेंगे। यहां से पुनः मकर राशि में 12 जुलाई 2022 से 17 जनवरी 2023 तक रहेंगे।इसके बाद 17 जनवरी 2023 से कुम्भ राशि में ही विराजमान रहेंगे।

नक्षत्रों में प्रवेशकाल

शनिदेव 24 जनवरी 2020 से 21 जनवरी 2021 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेंगे। 22 जनवरी 2021 से 17 फरवरी 2022 तक श्रवण नक्षत्र में रहेंगे।इसके बाद 29 अप्रैल 2022 तक धनिष्ठा नक्षत्र मकर में रहेंगे।यहां से 12 जुलाई 2022 तक कुंभ में। 12 जुलाई 2022 से 17 जनवरी 2023 तक मकर में रहेंगे। 17 जनवरी 2023 से पुनः कुंभ राशि व धनिष्ठा नक्षत्र में विराजमान रहेंगे।

शनि का वक्री होने का समय-

13 मई 2020 से 27 सितंबर 2020 तक।

21 मई 2021 से 10 अक्टूबर 2021 तक।

3 जून 2022 से (कुम्भ राशि) से 24 अक्टूबर (मकर राशि)।

शनि ग्रह का अस्त होने का समय-

7 जनवरी 2021 से 9 फरवरी 2021 तक।

19 जनवरी 2022 से 21 फरवरी 2022 तक।

शनि के मकर राशि में प्रवेश के समय की चंद्र स्तिथि के अनुसार पाद फल विभिन्न राशियों के लिए निम्न होंगे-

मेष राशि : इस राशि वाले लोगों के लिए कण्टक शनि कष्टकारी रहेगा।

वृष राशि : इस राशि के जातकों को भी कण्टक शनि कष्टकारी रहेगा।

मिथुन राशि : इस राशि वालों के लिए हृदय पर चढ़ती ढैय्या का प्रभाव रहेगा।इसका फल श्रम-संघर्ष रहेगा।

कर्क राशि : इस राशि के लिए कण्टक शनि कष्टकारी रहेगा।

सिंह राशि : इस राशि वालों के लिए स्वर्ण पाद से शनि श्रम- संघर्ष कराएगा।

कन्या राशि : इस राशि के लिए शनि फल सुख की प्राप्ति कराएगा।

तुला राशि : इस राशि वालों के लिए शनि का फल लाभ- सफलता दिलाएगा।

वृश्चिक राशि : इस राशि के लिये शनि का फल चिंता- कलह कारक है।

धनु राशि : पैरों पर उतरती ढैय्या फल से सुख की प्राप्ति होगी।

मकर राशि : इस राशि वालों के लिए हृदय पर चढ़ती ढैय्या स्वर्ण पाद से फल श्रम- संघर्ष रहेगा।

कुम्भ राशि : इस राशि वालों के लिए सिर पर चढ़ती ढैय्या रजत पाद फल से लाभ सफलता प्राप्त होगी।

मीन राशि : कण्टक शनि लौह पाद फल चिंता कलह।

धनु,मकर,कुम्भ राशि वाले जातकों पर आरम्भ होगा शनि साढ़े साती का प्रभाव।

मिथुन तुला राशि वाले जातकों पर आरम्भ होगा शनि ढैय्या का प्रभाव।

शनि की साढ़े साती से प्रभावित राशियों का गोचर शनि के अनुसार भविष्य

धनु राशि : धनु राशि/लग्न वाले लोगों पर शनि का गोचर,जन्म राशि से परिवर्तन कर धन भाव में चला जायेगा।अतः साढ़े साती का अंतिम चरण रहेगा।इन जातकों को धन लाभ होने की संभावनाएं रहेंगीं परंतु स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देना चाहिए।मित्रों से अनबन हो सकती है।

मकर राशि : इन राशि/लग्न के जातकों के लिए शनि देव का दूसरा चरण आरम्भ होगा जिससे शारीरिक कष्ट संभव हो सकता है।छोटे भाई बहनों से मतभेद हो सकते हैं।यह समय जीवन साथी के लिए कष्टप्रद रह सकता है।प्रशासनिक उलझन रह सकती है परंतु कार्य में प्रगति हो सकती है।रुके हुए कार्य बन सकते हैं।

कुम्भ राशि : इस राशि वाले जातक शनि की साढ़े साती के प्रभाव में आएंगे।खर्च की अधिकता रहेगी।आर्थिक स्थिति में उतार चढ़ाव रहेगा।शत्रुओं से परेशानी बढ़ सकती है,परंतु दूसरी साढ़े साती लगने के कारण शत्रु परास्त होंगे।धनागमन भी हो सकता है।

शनि की ढैय्या के प्रभाव में मिथुन एवं तुला राशि वालों पर रहेगा निम्न प्रभाव

मिथुन राशि : इन राशि वाले जातकों का गोचर अष्टम भाव से होगा अथार्त शनि की अष्टम ढैय्या आरम्भ हो जाएगी।अतः अपनी वाणी पर संयम बरतना होगा,वाणी दोष हो सकता है।अचानक धन खर्च भी बढ़ेगा।बनते हुए कार्य बिगड़ सकते हैं।

तुला राशि : इन राशि वालों के शनि तीसरे स्थान से चतुर्थ स्थान में 24 जनवरी 2020 से गोचर करेंगे, अतः शनि की चर्तुस्थ ढैय्या का प्रभाव आरम्भ हो जाएगा।स्थान परिवर्तन भी हो सकता है।स्वास्थ्य संबंधित परेशानी रह सकती है।इन सबके साथ तुला लग्न के लिए शनि राजयोग कारक होने के कारण राजयोग भी प्राप्त होगा।

विशेष : शनि की साढ़े साती,ढैय्या से प्रभावित जातक शनि के वक्रत्व काल में विशेष ध्यान रखें क्योंकि वक्री शनि का फल साधारणतया विपरीत होता है अथार्त शुभ की जगह अशुभ एवं अशुभ की जगह शुभ समझना चाहिए।शनि दोषकृत पीड़ा निवारणार्थ जिन राशि वालों को साढ़े साती या ढैय्या हो उनको शनि कृत अशुभ फल शमनार्थ लोहा,उड़द,काला,वस्त्र, काला पुष्प दान करते रहना चाहिए।विशेष विषम परिस्थितियों में सविधि ग्रह शान्ति कराएं। काली गाय का दान करना भी श्रेष्ठ रहेगा।निर्धन जातकों की द्विजदेव,गौ आदि का पूजन-अर्चन,नमस्कार आदि ही शुभ फलदायक होगा। यथा सम्भव दान भी शुभ रहेगा।

अति विशेष : इस वर्ष शनि जयंती ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या शुक्रवार दिनाँक 22 मई 2020 को पड़ रही है।इस दिन सर्वविधि तेलाभिषेक कराने से भी शनि कृत पीड़ा निवारण होगा। शनि का दान पूजा आदि कर्म सांय काल के पश्चात ही करने चाहिए।

शनि औषधि स्नान : शनि ग्रह की शान्ति के लिए शनिवार के दिन स्नान के जल में काले तिल, सुरमा, लोहा, सौंफ आदि को मिलाकर स्नान करना चाहिए।

उपरोक्त गोचर फल विचार के साथ ही जन्म कुंडली एवं वर्षफल की दशा- अन्तर्दशा का विचार कर लेना अत्यंत आवश्यक है

- ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा

बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली