इस दिन मनुष्य को विधिपूर्वक स्नान करके उपवास रखे और जितेन्द्रिय भाव से रहना चाहिए। मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित कर भिन्न-भिन्न उपचारों से उनकी पूजा करें, तदनंतर सायंकाल में चन्द्रोदय होने पर घी के 100 दीपक जलाए। इस रात्रि की मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए संसार में विचरती हैं और मन ही मन संकल्प करती हैं कि इस समय भूतल पर कौन जाग रहा है? जागकर मेरी पूजा में लगे हुए उस मनुष्य को मैं आज धन दूंगी। इस प्रकार यह शरद पूर्णिमा, कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है। इससे प्रसन्न हुईं मां लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं।

मंत्र-

‘ॐ इन्द्राय नमः’,

‘ॐ कुबेराय नमः’

“ॐ धनदाय नमस्तुभ्यं, निधि-पद्माधिपाय च। भवन्तु त्वत्-प्रसादान्ने, धन-धान्यादि-सम्पदः।।”

शरद पूर्णिमा उपाय

पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुवारी कन्याएं प्रातः काल स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे उन्हें योग्य पति की प्राप्ति होती है। इस दिन कांसे के पात्र में घी भरकर सुवर्ण सहित ब्राह्मण को दें तो ओजस्वी होता है। अपरान्ह में हाथियों का नीराजन करें तो उत्तम फल मिलता है और अन्य प्रकार के अनुष्ठान करें तो उनकी सफल सिद्धि होती है। इसके अतिरिक्त आश्विन शुक्ल निशीथ व्यापिनी पूर्णिमा को प्रभात के समय आराध्य देव को सुश्वेत वस्त्राभूषणादि से सुशोभित करके षोडशोपचार पूजन करें और रात्रि के समय उत्तम गोदुग्ध की खीर में घी और सफेद खांड मिलाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान को अर्पण करें। साथ ही पूर्ण चन्द्रमा के मध्याकाश में स्थित होने पर उनका पूजन करें और पूर्वोक्त प्रकार की खीर का नैवेद्य अर्पण करके दूसरे दिन उसका भोजन करे।

-ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र