कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Chaitra Navratri 2021 Puja: चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा को समर्पित है। यह देवी मां स्त्री शक्ति (शक्ति) का प्रतिनिधित्व करती है। नवरात्रि के दाैरान भक्त उनकी शक्ति का जश्न मनाते हैं और विधिविधान से पूजन करते हैं। इसके बाद नवरात्रि के अंतिम दिन भक्त कन्या पूजन कर नवरात्रि का समापन करते हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल शनिवार से हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन भक्त अपने पूजा कक्ष में आम के पत्तों से सजा एक कलश और भूसी के साथ एक भूरे नारियल को रखते हैं। इस अनुष्ठान को कलश स्थापना या घटस्थापना के रूप में जाना जाता है। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है।
कलश स्थापना या घटस्थापना के लिए सामग्री
कलश स्थापना विधविधान से करने के लिए एक कलश (तांबा/कांस्य/पीतल/चांदी) की चांदी की जरूरत होती है। स्टील या प्लास्टिक का प्रयोग न करें। इसके अलावा भूसी के साथ साबुत भूरा नारियल, कुछ आम के पत्ते या पान के पत्ते, हल्दी, कुमकुम, चंदन, अक्षत, जल, सिक्के, नए लाल कपड़े का टुकड़ा, पुष्प, कलश से बड़ी मिट्टी की थाली, नव धन्या (नौ अलग-अलग अनाज के बीज) आदि की आवश्यकता होती है।

नव दुर्गा की पूजा के लिए ये है पूजन सामग्री
नव दुर्गा की पूजन सामग्री में लाल कपड़ा, श्रृंगार सामग्री (सिंदूर, मेहंदी, काजल, बिंदी, चूड़ियां, बिछिया, कंघी, दर्पण, पायल, इत्र, झुमके, नोजपिन, हार, लाल चुनरी, अल्ता या महावर, हेयरपिन आदि) शामिल करना होता है। इसके अलावा दीपक के लिए तिल का तेल या सरसों का तेल या घी (अखंड ज्योत के लिए) की आवश्यकता होती है। कपास की बत्ती, पीतल/चांदी का दीपक, गंगाजल (पूजा स्थल को स्वच्छ करने के लिए), धूप, एक चौकी (देवी की मूर्ति/फोटो फ्रेम रखने के लिए), अगरबत्ती, नारियल, अक्षत, पान और सुपारी, देवी दुर्गा की तस्वीर या पंच धातु से बनी मूर्ति, कुमकुम, हल्दी, चंदन, गुलाब जल, कपूर, पवित्र धागा कलावा (लाल और पीला), मिठाइयां, फूल, फल (केला और कोई अन्य फल), लौंग-इलायची, बताशा, नैवेद्य, सिक्के, प्रसाद रखने के लिए एक थाली की जरूरत होती है।