डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Maa Kalaratri Puja Vidhi, Color, Mantra, Aarti : शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह काला है। बाल बिखरे हुए है इनके गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। मान्यता है कि कालरात्रि मां की पूजा करने से शनि ग्रह के विष योग जनित ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। इसके अलावा मृत्यु तुल्य कष्टों से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि देवी आकस्मिक संकटों से रक्षा करती हैं। सातवें दिन कालरात्रि मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने से प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा इस दिन ब्राह्यणों को दान आदि दिया जाता है।
कालरात्रि मां का महात्म
यह मां अत्यधिक शक्तिशाली है। यह अंधकार का नाश करने वाली है। यह अत्यधिक शक्तिशाली होने के कारण ऊर्जा से भरी हुई रहती है। दुष्टजनों का क्षणमात्र में नाश कर देती है। यह भक्त को निर्भय एवं शक्तिशाली बनाती है। आंतरिक शक्ति बढ़ाने वाली मां है। वैज्ञानिक युग में हम कह सकते है कि इनकी पूजा से ब्लैक एनर्जी भक्त में भर जाती है और उसमें अद्भुत शक्ति का संचार होने लगता है। यह विद्युत के समान चमकने वाली एवं अशुभ फलों का नाश करने वाली मां है। इनकी पूजा से भक्तगण अत्यधिक शक्ति संपन्न होता है। मन से कुविचारों का नाश होता है। शुभ फलों की वृद्धि होती है। इनकी पूजा से शत्रुओं का भी नाश होता है।
कालरात्रि मां का मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपुरा नग्ना खरास्थिता।
लमबोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकणटकभूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
मां कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय- जय- महाकाली।

काल के मुंह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।

महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।

महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।

दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।

सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।

ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।

महाकाली मां जिसे बचाबे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।

कालरात्रि मां तेरी जय॥