डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Maa Mahagauri Puja Vidhi, Color, Mantra, Aarti: शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागाैरी की पूजा होती है। मां महागौरी के पूजन से विवाह से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं। संकट से मुक्ति होती है और पारिवारिक दायित्व की पूर्ति होती है। इसके अलावा आर्थिक समृद्धि होती है। यह मां जीवन में उच्च सिंहासन प्रदान करने वाली मां है। इसलिए इनकी पूजा से भक्त बड़ा पद पाने में सफल हो सकता है। भक्त जीवन में जो भी दिशा निर्धारित करता है। मां उसमें सहयोग प्रदान करती है। उसके विचारों को शुद्ध करती है और लक्ष्य प्राप्ति की ओर निरन्तर प्रेरित करती रहती है। मां महागाैरी को नवरात्रि में नारियल का भोग लगाया जाता है।


महागौरी मां का महात्म
यह मां चार भुजाओं वाली है। इनका वाहन वृषभ है इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है। नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किये हुए है। ऊपर वाले बायें हाथ में डमरु लिये हुए है और नीचे वाले हाथ में वरमुद्रा है भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त करने के लिए इस देवी ने कठोर तपस्या की इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया। अपनी कठिन तपस्या के कारण भगवान शिव ने प्रसन्न होकर इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर क्रांतिमय बना दिया। इसी के कारण ये माता महागौरी के नाम जानी जाती है। यह मां गंगा के समान शुद्ध एवं क्रांतिमय मां है। इन्होंने कठिन तपस्या करके अपने क्रांतिमय रुप को अत्यधिक प्रभावी बनाया है। मन के सारे विकार दूर होते है। इसके अलावा सारी मनोकामनायें पूर्ण होती है।

महागौरी मां का मंत्र
श्वेत वृषे समारुढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
संपूर्ण मनोकामनाओं को पूरा करने की शक्ति देती रहती


मां महागौरी की आरती

कालरात्रि जय- जय- महाकाली।

काल के मुंह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।

महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।

महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।

दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।

सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।

ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।

महाकाली मां जिसे बचाबे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।

कालरात्रि मां तेरी जय॥