पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। सूर्योदय कालीन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को नवरात्र प्रारम्भ अथवा घट स्थापना की जाती है। दो दिन तिथि व्याप्ति या अव्याप्ति की स्थिति में नवरात्र पहले ही दिन प्रारम्भ होते हैं। यदि प्रतिपदा सूर्योदय के पश्चात् एक मुहुर्त पहले ही समाप्त हो रही है। तो नवरात्र पहले ही दिन प्रारम्भ होते हैे। इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का प्रारम्भ दिनाँक 26 सितम्बर 2022,सोमवार से हो रहा। 26 सितम्बर 2022,सोमवार को प्रतिपदा सूर्योदय व्यपिनी होकर पूरे दिन रहेगी। इस दिन "हस्त नक्षत्र" प्रातः 5:55 बज़े के बाद से आरम्भ होकर पूरे दिन रहेगा। इस दिन "शुक्ल योग" प्रातः 8:05 बज़े तक तदोपरांत "ब्रह्म योग" आरम्भ होकर पूरे दिन रहेगा।

सरस्वती आवाहन-
यह आश्विन मास के शुक्लपक्ष में मूल नक्षत्र के प्रथम पाद में दिन में मनाया जाता है।यदि मूल नक्षत्र सूर्यास्त से पूर्व तीन मुहूर्त से कम हो या प्रथम पाद रात्रि में विधमान हो तो आवाहन दूसरे दिन के समय में किया जाता है।इस दिन मूल नक्षत्र पूरे दिन-रात रहेगा।

सरस्वती पूजन:-
(2 अक्टूबर 2022,रविवार) इस दिन सरस्वती पूजन करने का विधान है।इस दिन दिन में मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में सरस्वती आवाहन करें। सांय 6:21 बज़े से अन्नपूर्णा परिक्रमा का आरम्भ होग़ा।

महाअष्टमीः-
(3 अक्टूबर 2022,सोमवार ) सूर्योदय कालीन आश्विन शुक्ल अष्टमी को श्रीदुर्गाष्टमी मनाई जाती है।इस दिन दुर्गाष्टमी व्रत भी होग़ा।यह अष्टमी सूर्योदय बाद कम से कम एक घटी व्यापिनी तथा नवमी तिथि से युक्त होना चाहिए।सप्तमीयुता अष्टमी को सर्वथा त्याग देना चाहिए।अतः यह तिथि 03 अक्टूबर 2022,सोमवार को सूर्योदयान्तर एक घटी तक विधमान होने से इस दिन ही श्रीदुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।यदि अष्टमी एक घटी से पूर्ण समाप्त हो या नवमी का क्षय हो तो पहले दिन मनाई जाती है। यदि अष्टमी दो दिन सूर्योदय व्यापिनी हो या न हो तो दोनो ही स्थिति में यह पहले ही दिन मनाई जाती है।

निशीथ व्यापिनी अष्टमी में रात्रि 11:35 बज़े से रात्रि 12:24 बज़े तक महानिशा पूजा तथा उससे सम्बंधित बलिदानादि कृत्य संपन्न होंगे। अन्नपूर्णा परिक्रमा का समापन दिन में 3:59 बज़े तक होग़ा।सांय त्रिमुहूर्त प्राप्त अष्टमी युक्त नवमी में महानवमी व्रत अष्टमी व नवमी तिथि के सन्धि में तंत्र पूजन, हवन होग़ा।

महानवमी:-
(4 अक्टूबर 2022,मंगलवार ) आश्विन शुक्ल नवमी के दिन महानवमी होती है।यह दो प्रकार से मनाई जाती है:- 1-पूजा एवं उपवास हेतु। *2-बलिदान हेतु।* पूजा-उपवास के लिए नवमी अष्टमी विद्दा तथा जो सम्पूर्ण सांय काल को व्याप्त करे,ली जाती है, जबकि बलिदान हेतु नवमी दशमी विद्दा ली जाती है।इस दिन 4 अक्तूबर 2022 को महानवमी का व्रत, हवन, आयुध पूजा,महानवमी कुमारी पूजा,उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में सरस्वती देवी के निमित्त बलिदान आदि होगी। इस दिन महानवमी व्रत समस्त नवमी में हवन करें। अष्टमी भुक्त का माध्यन्ह पूर्व नवमी में व्रत का पारण एवं दुर्गा विसर्जन होग़ा। नवमी युक्त दशमी में अपराह्न में बलिदान आदि कार्य संपन्न होंगे।

नवरात्र में दुर्गा-सप्तशती के अध्याय से करें मनोकामनाएं पूर्ण

1.प्रथम अध्याय:- प्रत्येक प्रकार की चिंता मिटाने के लिए।
2.द्वितीय अध्याय:- मुकदमा आदि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए।
3.तृतीय अध्याय:- शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए।
4.चतुर्थ अध्याय:- भक्ति प्राप्त करने के लिए।
5.पंचम अध्याय:- भक्ति एवं शक्ति प्राप्त करने के लिए।
6.षष्ठम अध्याय:- भय और बाधा निवारण के लिए।
7.सप्तम अध्याय:- प्रत्येक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए।
8.अष्टम अध्याय:- वशीकरण के लिए।
9.नवम/दशम अध्याय:- प्रत्येक कामना एवं पुत्र प्राप्ति के लिए।
10.एकादश:- व्यापार एवं सुख शांति के लिए।
11.द्वादश अध्याय:- यश,मान-सम्मान प्राप्ति के लिए।
12.त्रयोदश अध्याय:- प्रगाड़ भक्ति प्राप्ति के लिए।