डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Shardiya Navratri 2023 Day 4 Maa Kushmanda Bhog And Aarti: नवरात्रि में नाै देवियां अलग-अलग दिनों में अपने विशेष गुणकारी प्रभाव के कारण जन सामान्य पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं। प्रत्येक देवी का एक गुणाकार महात्म होता है। इसी महात्मता के कारण भक्तजनों को प्रत्येक दिन की देवियों का आशीर्वाद उनके स्वरुपों के अनुसार मिलता रहता है। प्रत्येक दिन की देवियों का स्वभाव भी अलग है। वे अपने विशेष गुणों को अपने आशीर्वाद के साथ प्रसाद रुप में भक्तजन को देती रहती है। इनमें से कुछ देवियां शांत स्वभाव की है तो कुछ उग्र स्वभाव की है कुछ मिली-जुली स्वभाव की है जो व्यक्ति जिस स्वभाव का है उसी के अनुसार इन नौ दुर्गा देवियों की विशेष पूजा करके उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। नवरात्रि के चाैथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। देवी कूष्मांडा माल-पुए का भोग लगाकर मंदिर में ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। इससे बुद्धि का विकास के साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।

कूष्मांडा मां का महात्म
कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं बताई गई है इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। इनके आठों हाथों में भिन्न भिन्न तरह के वस्तुएं बताई गई है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष-बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है इनके आठवें हाथ में सभी तरह की श्रद्धियाँ सिद्धियाँ देने वाली जप की माला है। देवी का वाहन सिंह है इस देवी के निवास सूर्य मंडल के भीतर लोक में बताया गया है। सूर्य लोक में रहने के कारण संपूर्ण शक्ति क्षमता इनमें बताई गई। इनके शरीर से क्रान्ति और आभा सूर्य के समान दिखाई देती है। इनके तेज से दशों दिशायें आलोपित होती है। संपूर्ण ब्रह्मांड में इनका तेज परिव्याप्त है इनकी पूजा से भक्तजन तेज एवं शक्तिशाली महसूस करते है। और अपने को महिमामंडित बनाने में भी सफल होते है।


मां कुष्मांडा देवी का मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपाद्मभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।।

मां कुष्मांडा की आरती
चौथा जब नवरात्र हो, कुष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है
आध्शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छाव कही धुप॥
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीज्ती सात्विक करे विचार॥
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥
सूर्य चन्द्र की रौशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां।
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥
जय मां कुष्मांडा मैया।
जय मां कुष्मांडा मैया॥