डॉ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिर्विद्)। Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का इस साल शुभारंभ 15 अक्टूबर को होगा । उदयातिथि के अनुसार अश्विनि माह के शुक्रल पक्ष के प्रतिपदा से अश्विनि माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तक शारदीय नवरात्रि रहेगा। इस बार पूरे नव दिनों का नवरात्रि रहेगा। नवरात्रि का प्रारम्भ रविवार को हो रहा है,रविवार सूर्य का दिन है और सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है। इस बीच यदि कोई व्यक्ति शुद्ध मन से नव दिनों का नवरात्रि व्रत रहेगा तो उसे अनेक तरह के शुभ फलों की प्राप्ति होगी। मां देवी शारदा विभिन्न रुपों में भक्त के लिए आशीर्वाद एवं शुभ फलों का पिटारा न्यौछावर करेगी। सूर्य आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है। हम आत्मा से किसी देवी से जुड़ेंगे तो देवी का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त करने में सफल हो सकते है। इस बार यदि व्यक्ति छल कपट रहित देवी मां के विभिन्न रूपों की पूजा करेगा तो शुभ फलों के साथ-साथ अनेक तरह की सिद्धियों को भी प्राप्त करने में सफल होगा और जातक के मनोरथ पूर्ण होंगे।
कलश में डाले ये चीजें
देवी मां की पूजा का प्रारम्भ कलश स्थापना से की जाती है। घट या घड़े में गंगाजल भरकर उसमें अच्छत रोली सुपारी द्रव्य आदि अर्पित किया जाता है। इस बार घट या कलश स्थापना का समय 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट के बीच होगा। इस बार कलश स्थापना के मुहूर्त में 48 मिनट का समय मिलेगा। इस कलश स्थापना में जौ, सप्तधान, नारियल आदि को रखकर कलश की स्थापना की जाती है। मिट्टी में जौ सप्तधान एक पात्र मं रखकर उसके ऊपर कलश फिर उसके ऊपर नारियल रखने की परंपरा है। कलश में गंगाजल के साथ-साथ अन्य तरह की शुभ वस्तुओं को कलश में डालकर उसकी स्थापना की जाती है। जौ को बहुत ही पवित्र माना गया है।

मंत्र
जौ को कलश के पास रखने या उसे बोते समय इस तरह का उच्चारण करना चाहिए
ॐ आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः

सप्तधान को बोते समय भी यदि हम मंत्र के उच्चारण के साथ इस तरह का मंत्र करगें तो विशेष फलों की प्राप्ति होगी
ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्वो दानाय त्वा व्यानाय त्वा । दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि ॥
कलश के ऊपर नारियल को स्थापित करें
कलश के ऊपर नारियल रखने के पहले मंत्र करके नारियल को शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद मंत्र के साथ कलश के ऊपर नारियल को स्थापित करना चाहिए। सप्तधान लगाते समय मंत्रित करके उसे शुद्ध करना चाहिए। फिर कलश के नीचे उसे लगाना चाहिए। जौ को भी लगाने से पहले उसे मंत्रित करके पवित्र करना चाहिए। फिर कलश के नीचे उसे लगाना चाहिए। इस तरह विधि विधान से यदि हम कलश स्थापना करेगे तो मां देवी की पूजा में पवित्रता बनी रहेगी और मां देवी का पूरा आशीर्वाद भक्त जनों को प्राप्त हो सकता है।