-देशभर में आई बाढ़ से कारोबारियों को नहीं मिल रहा ऑर्डर

-बुनकरों के हैण्डलूम-पावरलूम बाढ़ के पानी में डूबने से प्रोडक्शन हुआ ठप

दुनिया में मशहूर बनारसी साड़ी का कारोबार इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहा है। लंबे समय तक मंदी के बाद अब बाढ़ ने झटका दे दिया है। बनारस समेत देश के तमाम हिस्सों में आयी बाढ़ की वजह से साड़ी का ऑर्डर और सप्लाई ठप हो गया है। देश विदेश में निर्यात होने वाली साडि़यों के लिए इन दिनों खरीदार नहीं मिल रहे है। इसके चलते शहर के 50 फीसदी से ज्यादा साड़ी कारखाने बंद पड़े हैं। जो चल रहे हैं उनमें से ज्यादातर नदियों में आयी बाढ़ के पानी में डूबे हैं। लगातार बंद होते कारखानों की वजह से बुनकरों पर आर्थिक संकट बढ़ गया है। हालात सुधरते-सुधरते तीन महीने से ज्यादा का वक्त लग जाएगा।

पहले जीएसटी अब बाढ़

ऐसा नहीं है कि हाल के सालों में बनारसी साड़ी का उद्योग बहुत आगे था, लेकिन यह सच है कि टीवी सीरियल में साड़ी के बढ़ते क्रेज से बनारसी साड़ी की डिमांड बढ़ी थी। कारोबार फिर से रफ्तार पकडऩे लगा था, लेकिन नोटबंदी और जीएसटी ने साड़ी उद्योग से जुड़े बुनकरों और कारोबारियों के अरमानों पर पानी तो फेरा ही था, अब बाढ़ और बारिश ने पूरे उद्योग पर ही ग्रहण लगा दिया है।

पीक सीजन में गायब खरीददार

साड़ी कारोबार से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी का प्रभाव साड़ी उद्योग पर पड़ा। अब बाढ़ और बारिश ने पूरे उद्योग पर ही ग्रहण लगा दिया है। निर्यातकों से ऑर्डर मिलने बंद हो गए हैं। गोदामों में माल बनकर तैयार हैं लेकिन पूछने वाला कोई नहीं। बाढ़ की वजह से कोलकाता, महाराष्ट्र व साउथ इंडिया से ऑर्डर मिलने कम हो गए है।

साड़ी का कारोबार की यही हालात रही तो आने वाले दिनों में लाखों की तादाद में बुनकर बेरोजगार हो जाएंगे। साड़ी कारोबारी मोहम्मद अजीज बताते हैं कि सितंबर से मार्च तक का महीना बनारसी साड़ी के लिए पीक सीजन माना जाता है। त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन ग्राहक गायब हैं।

बड़ पैमाने पर तैयार होती है साड़ी

बनारस के बड़े एरिया में बनारसी साड़ी तैयार होती है। हैंडलूम के साथ-साथ पावरलूम पर साडि़यां तैयार होती हैं। यहां की बनी साडि़यों की दक्षिण भारत और पड़ोसी देशों में खूब डिमांड हैं। बनारस में साड़ी कारोबार से सीधे तौर पर लगभग दो लाख लोग जुड़े हैं। लगभग आठ लाख लोगों की रोजी-रोटी का जुगाड़ साड़ी उद्योग से होता है, लेकिन हाल के महीनों में कारोबार में आई गिरावट से बुनकर परेशान हैं।

एक नजर

4000

करोड़ है कारोबार बनारसी साड़ी का

2000

हजार करोड़ में सिमट गया है कारोबार

08

लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं साड़ी कारोबार से

50

फीसदी से ज्यादा साड़ी कारखाने इन दिनों बंद हैं

50

फीसदी से ज्यादा बुनकरों को नहीं मिल रहा काम

80

फीसदी कारोबार हो चुका है चौपट

05

हजार से ज्यादा पावरलूम हैं बनारस में

08

हजार से ज्यादा हैं हैंडलूम बनारस में

50

देशों तक होता है साड़ी का निर्यात

20

प्रदेशों में तक पहुंचती है बनारसी साड़ी

100

जिलों तक होती है सप्लाई

बनारसी साड़ी करोबार की हालत इन दिनों अच्छी नहीं है। बाढ़ के चलते ऑर्डर भी नहीं आ रहा और प्रोडक्शन भी नहीं हो पा रहा है। सरकार ने समय रहते इस ध्यान न दिया तो शायद बनारस की पहचान खत्म हो जाएगी।

मोहम्मद स्वालेह अंसारी, साड़ी कारोबारी