वीआईपी रोड पर डीआईजी आफिस के करीब जिस तरीके से शानू को सरे सडक़ मारा गया, तसल्ली से गोलियों बरसाकर, तय था कि कातिल मामूली नहीं हैैं. अमूमन पुलिस सुबूत तलाशती है, लेकिन मौका-ए-वारदात पर शानू के कातिलों की तस्वीर छाप दी. पुलिस फिर भी कातिलों का पता न लगा सकी (या लगाना नहीं चाहा). जब आई नेक्स्ट के बनारस एडिशन के जरिये ये भी खुलासा हो गया कि कातिलों में से एक रईस बनारसी है, तो पुलिस मजबूरी में हिली. ये सारा काम अखबार करता रहा और अखबार में छपने के बाद मजबूरी में पुलिस.

मौके पर मौजूद दूसरे कातिल के बारे में इस बाबत पुख्ता तस्दीक नहीं हो सकी कि वो कौन है. उसका नाम मामा बिंद के तौर पर उभरा तो, लेकिन बस नाम बनकर रह गया. मामा कहां गया, पता नहीं. शायला के कत्ल की जांच में सीबीआई  सलीम नाम के एक नए किरदार को लेकर सामने आई है. जिसके बारे में सीबीआई और एसटीएफ के पास बस इतनी जानकारी है, कि उसका नाम सलीम है. न पता, न ठिकाना, न तस्वीर. इस कहानी से आप वाकिफ है. ये उलझी सी दास्तान जांच के लिए तीन संभावित रास्ते पेश करती है...1

पहली संभावना यही है कि मौके पर रईस बनारसी के साथ मौजूद शख्स सलीम था. जो शायला के कत्ल में शामिल था, और शानू ओलंगा को रास्ते से हटाकर जांच की कड़ी तोडऩा चाहता था.

2.

मामा बिंद और सलीम कहीं एक ही शख्स तो नहीं है. सीबीआई के पास महज एक नाम है. ये मामा बिंद का असली शिनाख्त छिपाने वाला नाम भी हो सकता है. लेकिन दिक्कत ये है कि सीबीआई या एसटीएफ अभी इस डायरेक्शन में काम नहीं कर रहे हैं कि सलीम और मामा बिंद एक ही शख्स हो सकते हैं

3.

मामा बिंद और सलीम के एक ही शख्स होने की संभावना इसलिए ज्यादा है कि शायला के कत्ल की सुपारी शाकिब के जरिये सलीम तक पहुंची और वारदात में शानू भी शामिल हो गया. मामा की असल शिनाख्त जानने वाला शानू ऊपर पहुंच गया. और शाकिब के लिए तो मामा की शिनाख्त सलीम के तौर पर थी ही.

अच्छा तो वो सलीम था...

एसटीएफ पर भी शक

रईस बनारसी ने पहले भी शानू को मारने के लिए उसे टारगेट किया था. लेकिन,एसटीएफ के कुछ लोगों के साथ होने की वजह से चुपचाप निकल गया. पुलिस सोर्सेज का कहना है कि एसटीएफ ही नहीं सिटी के कई पुलिसवाले भी शानू को शेल्टर देते थे. इसका खुलासा रईस बनारसी ने बनारस पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के समय किया था. सोर्सेज का कहना है कि शानू के करीबियों को उसके पूरे मूवमेंट की जानकारी होती थी. सोर्सेज का कहना है कि किसी वारदात को अंजाम देने के लिए भोपाल जाने की भी इन लोगों को पूरी जानकारी थी. ये शानू को कवर देने के साथ ही उसको बचाने का भी काम करते थे. जिससे दूसरे गैंग के लोगों को बिना अपने हाथ गंदे किए निपटवाया जा सके. सोर्सेज का कहना है कि शानू के पुलिस के कुछ आला अधिकारियों से भी कनेक्शन थे.

पुलिस अपराधी की दोस्ती पुरानी

-तत्कालीन आईजी बीएल यादव द्वारा आधा दर्जन दरोगाओं के फोन सर्विलांस पर लिए गए थे. जिसमें बीहड़ से कनेक्शन का पता चला था.

-2010 में एसपी मोहित गुप्ता ने भी पुलिस और अपराधी गठजोड़ का खुलासा किया था.

-अभी कुछ दिन पहले बर्रा में हाई प्रोफाईल जुएं के अडडे का भी आईजी की टीम ने पर्दाफाश किया था. थाने की सेटिंग से चल रहा था रैकेट

-कल्याणपुर में सेक्स रैकेट का पर्दाफाश,पुलिवालों की सेटिंग का खुलासा

इन सवालों के जवाब नहीं

1.मामा बिंद या सलीम को पकडऩे के लिए एसटीएफ ने अभी तक कुछ किया क्यों नहीं

 2.शानू मर्डर के बाद बनारसी तो आईनेक्स्ट के दबाव में गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन, बिंद का अब तक क्यों पता नहीं चला

3. मामा को पकडऩे के लिए एसटीएफ की तलाश सिर्फ दूसरे शहरों की पुलिस को फोटो भेजने तक ही टिकी क्यों हुई है.

4.एसटीएफ ने दूसरे राज्यों की पुलिस के साथ अब तक संपर्क क्यों नहीं साधा

5. जाहिदा की गिरफ्तारी के बाद ही पता चला था कि शयला मर्डर को अंजाम देने में शानू भी शामिल था.इस डायरेक्शन में शानू की मौत के बाद पड़ताल क्यों नहीं की गई और ये क्यों आसानी से मान लिया गया कि ये सिर्फ गैंगवार का हिस्सा है

6.शयला और शानू का कनेक्शन जुडऩे के बाद एसटीएफ ने सलीम की जानकारी जुटाने के लिए जेल में बंद माफियाओं से पूछताछ क्यों नहीं की गई.

7. जेल में बंद इरफान से सीबीआई ने पूछताछ के दौरान किसी तरह के स्केच नही दिखाए.

8. इरफान की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ने सलीम का स्केच क्यों नहंी बनवाया.

9. रईस के एसटीएफ और शानू की करीबियों की जानकारी  देने के बाद एसटीएफ ने इंटरनल पड़ताल क्यों नहीं की.

10.पुलिस और अंडरवल्र्ड की सांठगांठ का खुलासा होने के बाद किसी भी पुलिसवाले के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया.

अच्छा तो वो सलीम था...

इरफान सीबीआई ने जेल में की पूछताछ

सीबीआई टीम ने पहले एसीएमएम-7 के यहां से एप्लीकेशन देकर इरफान से जेल में पूछताछ की परमीशन ली. सीबीआई के डीवी त्रिपाठी और पी.के राय चौधरी ने  कानपुर जेल में 1.40 मिनट पर जेल में दाखिल हुए थे और  4.40 मिनट  पर बाहर निकले. इस दौरान उन्होंने इरफान से सख्ती से पूछताछ की. जेल सोर्सेज ने बताया कि पहले तो उन्होंने इरफान का नाम,पता और परिवार के बारे में पूछा.

1.कितनी बार जेल गए.

2.सलीम कहां हैं.

3.उससे  मुलाकात कैसे हुई.

4.अंडरवल्र्ड में कैसे आए.

5.सुपारी देने वाले से क्या बात हुई थी.

6.शयला मर्डर में कौन कहां पर था.

7.किसने रोका और किसने गोली चलाई.

8.मर्डर के लिए असलहे कहां से लिए थे.