कानपुर (एजेंसियां)। केरल के पथानमथिट्टा जिले में स्थित सबरीमाला मंदिर हिंदू देवता अयप्पा को समर्पित है। मंदिर प्रबंधन द्वारा देवता को शाश्वत ब्रह्मचर्य माना जाता है। इसलिए यहां पर 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर बैन है लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी महिलाअों के प्रवेश की अनुमति दे दी है। ऐसे में जहां इस फैसले से महिलाओं में खुशी की लहर है वहीं कुछ संगठन इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं।

फैसले के खिलाफ आज केरल में हड़ताल
शिवसेना तो सु्प्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज केरल में हड़ताल कर रही है। उसने राज्य में 1 अक्टूबर को 12 घंटे का बंद करने का आह्वान किया है। बतादें कि बीते शुक्रवार को  मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशीय संविधान खंडपीठ ने अपने 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया। इस बेंच में जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल थे।

हिंदू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन

फैसले में इस बेंच ने कहा है कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना एक लैंगिक भेदभाव है और यह हिंदू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है। बतादें कि करीब आठ दिनों तक सुनवाई करने के बाद एक अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। मंदिर प्रशासन का कहना था कि सबरीमामला भगवान अयप्पा का मंदिर है और वो उम्र भर अविवाहित थे। इसलिए यहां सैकड़ों वर्षों से महिलाओं के प्रवेश पर बैन था।

सुप्रीम कोर्ट: सबरीमाला के मंदिर में अब नहीं होगी महिलाओं के लिए रोक

सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार खुश मंदिर के पुजारी नाराज

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