मुंबई (एएनआई)। मुजफ्फरपुर में एक शिक्षक के 22 वर्षीय बेटे की हत्या की हालिया घटना के बारे में शिवसेना ने अपने संपादकीय में कहा, इस घटना में चौंकाने वाली बात यह है कि मृतक का चचेरा भाई एक आईपीएस अधिकारी है, फिर भी अपराधी घटना को अंजाम देने से पहले डरें नहीं। मुजफ्फरनगर से ही एक और घटना के बारे में, जहां बंदूक की नोक पर 10 वीं कक्षा की एक लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया और जब परिवार एफआईआर के लिए पुलिस के पास पहुंचा, तो पुलिस ने अन्य सभी घटनाओं की तरह शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया।

यह तस्वीर सिर्फ मुजफ्फरपुर की नहीं है, बल्कि बिहार के हर जगह की यही स्थिति है। फिर वह दरभंगा हो या जहानाबाद, भागलपुर या अररिया, सुपौल या पूर्णिया या गोपालगंज या राजधानी पटना। अपराधियों ने निडरता से राज्य में अपराध को अंजाम देने की मुहिम सी चला रखी है। बिहार में, हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, दुष्कर्म, जबरन वसूली, अपहरण, विवाह, छेड़छाड़ और धमकाने के आंकड़े उत्तर प्रदेश के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

दोनों पार्टियां अभी भी राजनीतिक स्कोर स्थापित कर रही हैं

यह सिर्फ हम नहीं बिहार की जनता भी इस पहलू पर ध्यान दे रही है। शिवसेना के मुखपत्र ने कहा कि चाहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या भारतीय जनता पार्टी सत्ता में हों, दोनों को इस जमीनी हकीकत से कोई खास सरोकार नहीं है। दोनों पार्टियां अभी भी आपसी राजनीतिक स्कोर स्थापित करने में लगी हुई हैं। कुछ लोग राजनीतिक कटाई कर रहे हैं, जबकि कुछ ऑडियो को वायरल कर रहे हैं और दूसरे की छवि को धूमिल कर रहे हैं।

इस अराजकता का अपराधी और माफिया फायदा उठा रहे

भाजपा अपने सहयोगियों और समर्थकों के विधायकों को इकट्ठा करने में लगी हुई है, लेकिन जैसा कि बिहार के हर नागरिक को लगता है कि इस अभ्यास के साथ यह तेजी से अपने सहयोगियों और राज्य के लोगों का विश्वास खो रहा है। बिहार में इस अराजकता की स्थिति का अपराधी और माफिया फायदा उठा रहे हैं। पुलिस के संरक्षण में आयोजित अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। बिहार में अपराध की दर महामारी से आगे निकल गई है।

औसतन हर दिन हत्या और दुष्कर्म के 4 मामले सामने आते

बिहार में हालत यह है कि औसतन हर दिन हत्या और दुष्कर्म के 4 मामले सामने आते हैं। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, पिछले साल सितंबर तक राज्य में कुल 2,406 हत्याएं और 1,106 दुष्कर्म हुए थे। चुनाव के दौरान, अपराध सबसे ऊपर था। वहीं सरकार और उसके सहयोगी अपराध मुक्त बिहार का सपना दिखाकर चुनावी खेल खेलने में व्यस्त थे। चुनावों के बाद भी अपराध के आंकड़े बढ़ते रहे और नई सरकार भी कुछ नहीं कर पाई।

राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सीआईडी की नजर

नीतीश कुमार को राज्य में बिगड़ते हालात का एहसास हो गया है। इसलिए अब राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सीआईडी की नजर है, यह कहकर पुलिस को भी डर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ, प्रोटोकॉल तोड़कर वह पटना की सड़कों पर जनता संग बातचीत कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री को इस बातचीत से एक फोटो का मौका मिल सकता है। वहीं जनता का भरोसा जीतने के लिए उन्हें पहले वैक्सीन भी लगवानी चाहिए।

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