कानपुर। Shivaji Maharaj Jayanti 2020 भारत के वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज की बुधवार को पूरे देश में जयंती मनाई जा रही है। शिवाजी महाराज बेशक इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका नाम आज भी महान देशभक्तों व कुशल प्रशासकों में गिना जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म19 फरवरी, 1630 शिवनेरी दुर्ग, महाराष्ट्र में हुआ था। शिवाजी का असली नाम शिवाजी राजे भोसले था। वह पराक्रमी होने के साथ ही बेहद दयालु भी थे। इनकी विचारधारा बेहद अलग थी। ब्रिटानिका डाॅट काॅम के मुताबिक शिवाजी महराज में अपने राज्य की सुरक्षा व धार्मिक झुकाव काफी ज्यादा था। वह एक समर्पित हिन्दु थे।

छत्रपति शिवाजी ने मुगलों के साथ काफी संघर्ष किया

शिवाजी ने ही फारसी को हटाकर मराठी और संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया था। पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवन में मुगलों के साथ काफी संघर्ष किया था। शिवाजी महाराज जब महज 16 साल के थे तभी उन्हें लगा था कि हिन्दुओं की मुक्ति के लिए संघर्ष करना होगा। उन्हें हिंदुओं को मुगलों के शासन से आजाद कराना होगा। इसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज इसके लिए अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी थी। उन्होंने बीजापुर को मुगलों से आजाद कराने के लिए 1655 में अभियान शुरू किया और लोगाें को जुटाना शुरू कर दिया था।

बीजापुर पर कब्जा करने के लिए कूटनीति का प्रयोग किया

1659 में बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी को मारने के लिए अफाल खान के नेतृत्व में 20,000 लोगों की एक सेना भेजी थी। इस दाैरान शिवाजी ने बीजापुर पर कब्जा करने के लिए कूटनीति का प्रयोग किया। उन्होंने मुगलों के साथ मैत्रीपुर्ण संबंध बनाकर फूट डाल दी थी। शिवाजी ने मुगलों से कई साल तक युद्ध करते हुए औरंगजेब को हराते हुए फतह हासिल की। इसके बाद 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बन गए। 3 अप्रैल, 1680 को महज 50 साल की उम्र में वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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