- तिथि के संशय पर बीएचयू के ज्योतिष विभाग के विद्वानों की हुई मीटिंग

- मीटिंग में धर्मशास्त्र के अनुसार 13 फरवरी को ही बतायी गयी महाशिवरात्रि

VARANASI

काशी में महाशिवरात्रि महोत्सव का विशेष महत्व है। हर साल ही काशी में इस पर्व को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पर इस वर्ष कुछ पंचांगों व विद्वानों में पर्व की तिथि को लेकर संशय है। कुछ लोग 13 फरवरी को तो कुछ लोग 14 फरवरी को इस पर्व को मनाये जाने की बात कह रहे हैं। पर बीएचयू के ज्योतिष शास्त्र विभाग के विद्वानों ने 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि उत्सव व व्रत को शास्त्र सम्मत बताया है। फैकल्टी डीन प्रो चंद्रमा पाण्डेय की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई डिपार्टमेंट के हेड प्रो विनय कुमार पाण्डेय, प्रो चंद्रमौली उपाध्याय, डॉ शत्रुघ्न त्रिपाठी, डॉ सुभाष पाण्डेय, प्रो धनंजय कुमार पाण्डेय डॉ राहुल मिश्र आदि शामिल थे।

प्रो विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष 13 फरवरी को चतुर्दशी का आरंभ रात 10.22 बजे हो रहा है। इसकी समाप्ति अगले दिन 14 फरवरी को रात 12.17 बजे हो रही है। इस प्रकार धर्मशास्त्र के अनुसार चतुर्दशी 13 फरवरी को और निशीथ काल 14 फरवरी को प्रदोष काल में प्राप्त हो रही है। ऐसी स्थिति में निशीथ के द्वारा ही शिवरात्रि का निर्णय श्रेयस्कर है। धर्मशास्त्रों के अनुसार 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि व्रतोत्सव मनाया जाना उचित है। बीएचयू द्वारा प्रकाशित श्रीविश्व पंचांग, शिवमूर्ति ह्रषीकेश पंचांग आदि में भी 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाना श्रेयस्कर बताया गया है।