बिजली चोरी कोई नया मसला नहीं है,लेकिन अब ये इतना विकराल रूप ले चुकी है कि अब इसका खामियाजा उन लोगों को उठाना पड़ रहा है जो लोग बिजली के बिल का प्रॉपर भुगतान कर रहे हैं। बिजली डिपार्टमेंट हर बार तमाम दावे करती है, लेकिन उन दावों पर पूरी तरह से फेल हो जाती है। आइए बात करते हैं। उन्हीं दावों की और लोगों के परेशानियों की। जो उन्हें हर साल भुगतनी पड़ती है।

- महानगर में बिजली पर डल रहा डाका

- बिजली चोरी से विभाग को हर साल अरबों का फटका

- पॉवर थैप्ट पर रोक ही दिलाएगी शहर को पॉवर सप्लाई

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शहर में इस समय बिजली डाकुओं की गिरफ्त में है। एक ओर जहां पूरे शहर में बिजली की समस्या को लेकर अफरा-तफरी मची है, वहीं बिजली के ये लुटेरे आधी बिजली पर अपना हक जमाए बैठे हैं। हालांकि बिजली विभाग की ओर से बिजली चोरी रोकने के नाम पर तमाम तरह के अभियान भी शुरू किए जाते हैं, लेकिन विभाग बिजली के लुटेरों का दमन नहीं कर पा रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह कि बिजली चोरी का सबसे बड़ा खामियाजा उस बेचारी जनता को चुकाना पड़ता है, जो हर माह लाइन में लगकर अपने बिल का भुगतान करती है।

चालीस फीसदी बिजली चोरी

शहर में इस समय कुल बिजली का चालीस फीसदी खुलेआम चोरी में जा रहा है। ऐसा तो तब है जब विभाग खुद भी अपने आंकड़ों में लाइन लॉस को चालीस फीसदी ही दर्शाता है। बावजूद इसके बिजली चोरी धड़ल्ले से जारी है। ऐसे में बाकि शहर को साठ फीसदी बिजली में ही संतोष करना पड़ता है।

जनता का शोषण

बड़े पैमाने पर हो रही बिजली चोरी ने जहां शहर में बिजली का संकट खड़ा कर दिया है, वहीं इसका सीधा खामियाजा बेकसूर जनता को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, बड़े स्तर पर हो रही बिजली चोरी से विभाग लगातार घाटे का सामना कर रहा है। इसके विपरीत कॉर्पाेरेशन की ओर से विभाग को राजस्व का बड़ा टारगेट दे दिया जाता है। अब इस टारगेट को पूरा करने के फेर में विभाग चेकिंग के नाम पर उपभोक्ताओं को डरा-धमका कर मनमानी रकम वसूलता है। शहर में विभाग द्वारा उपभोक्ताओं के शोषण के कई मामले भी सामने आ चुके हैं।

नाकाम रहे प्रयास

बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए यूं तो विभाग बड़े-बड़े अभियान तक चला चुका है, लेकिन उनसे बिजली चोरों की सेहत पर तो कोई फर्क नहीं पड़ा उलटा बेकसूर लोग ही ठगे गए। तमाम अभियान के बावजूद भी शहर में बिजली चोरी बदस्तूर जारी है। हालांकि विभागीय अफसर दबी जुबान से इसके पीछे राजनीतिक दबाव बताते हैं। कुछ अफसरों का यहां तक भी कहना है कि यहां बिजली के नाम पर भी सियासत की जाती है, जिसके चलते उनके हाथ बंध जाते हैं और बिजली चोरी उनकी गिरफ्त में आने से पहले ही बच निकलते हैं।

पांच अरब का फटका

आंकड़ों पर गौर करें तो बिजली चोरी से विभाग को हर साल लगभग भ्00 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अकेले मेरठ में यह आंकड़ा क्00 करोड़ तक पहुंचता है। ऐसे में बिजली चोरी विभाग के लिए नासूर बन गई है।

क्या बोलते हैं आंकड़े

यदि आंकड़ों पर गौर करें तो मेरठ समेत पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकतर जिलों में बड़े पैमाने पर बिजली चोरी की जा रही है। ऐसे में चोरी पर एक नजर

शहर चोरी का परसेंट

मेरठ - ब्0.ख्

मुजफ्फरनगर -फ्फ्.78

सहारनपुर - ब्ब्.फ्0

शामली - भ्9.78

बागपत - ब्भ्.ख्फ्

गाजियाबाद -क्9.क्भ्

मुरादाबाद -फ्ख्.7ख्

हापुड - ब्ब्.क्7

बुलंदशहर -ब्0.9ख्

रामपुर - भ्ख्.ब्ब्

नोएडा - 7.8भ्

बिजनौर -फ्ख्.87

संभल - म्क्.ब्क्

समस्या का समाधान

विशेषज्ञों की मानें तो सरकार, विभाग और जनता जनार्दन के संयुक्त प्रयास से ही बिजली की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकता है। ये हैं कुछ उपाय-

- बिजली चोरी पर लगे रोक

- कनेक्शन की प्रक्रिया को सीधा व सरल बनाया जाए

- बिजली चोरी के प्रति लोगों में जागरुकता लाई जाए

- राजनीतिक व सभ्रांत लोगों को साथ लेकर चोरी वाले इलाकों में लोगों से संवाद कायम किया जाए।

- कैंप लगाकर नए कनेक्शन दिए जाएं

- बिजली चोरी पकड़ जाने पर उसको दंडनीय अपराध के स्थान पर कनेक्शन लेने के लिए बाध्य किया जाए।

- विभागीय हेराफेरी पर अंकुश लगाया जाए

चोरी पर लगाम लगे तो तीन घंटे एक्स्ट्रा बिजली

बिजली विभाग के अफसरों की मानें तो बिजली चोरी पर लगाम जहां मांग व आपूर्ति के अंतर को काफी हद तक कम कर देगी, वहीं ऐसा होने शहर को तीन घंटे अतिरिक्त बिजली भी मुहैया कराई जा सकेगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि शहर में बिजली की उपलब्धता पहले के मुकाबले तो अधिक होगी ही, वहीं लगातार घाटे में जा रहे विभाग को भी इसका बड़ा फायदा होगा।

बिजली की समस्या शुरू हो गई है। विभाग बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन अधंाधुंध कटौती की जाती है इसके अलावा बिजली का बिल चढ़ते ही विभाग के कर्मचारी घर पर आ दमकते हैं और अनावश्यक दबाव बनाते हैं।

गौरव शर्मा, शॉप कीपर

बिजली के लंबे-लंबे झटकों से व्यापार पर फर्क पड़ता है। बिजली न आने से हर साल व्यापारी लाखों रुपए का डीजल जेनरेटर में फूंक देते हैं। ऊपर से बिजली विभाग वसूली अभियान की आड़ में व्यापारियों का शोषण करता है।

गुल्लू ठाकुर, व्यापारी नेता

बिजली न आने से स्कूल में पंखे नही चलते। गर्मी से बिलबिलाए बच्चे ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते। स्कूल टाइम में विभाग को निर्बाध बिजली आपूर्ति मुहैया करानी चाहिए।

आरती जोशी, शिक्षिका

बिजली विभाग के कर्मचारी मीटर में खराबी के नाम पर मोटा जुर्माना बनाने का बात कहकर डराते हैं। मामले को निपटाने के बदले मौके पर ही रुपयों की मांग करते हैं। मांग पूरी न होने पर नाजायज बिल बनाकर भेज देते हैं।

सुरेश लोधी, कासमपुर

इंडस्ट्रीयल क्षेत्र से बिजली विभाग मोटा राजस्व वसूलता है। इसके बदले में व्यापारियों को बिजली की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है। इंडस्ट्रीयल क्षेत्र को रोस्टिंग फ्री कर देना चाहिए।

विनय विरालिया, बिजनेस मैन

क्या कहते हैं अफसर

बिजली चोरी रोकने के लिए जल्द ही अभियान शुरू किया जा रहा है। चोरी से प्रभावित क्षेत्रों को टारगेट कर छापेमारी की जाएगी। इसके साथ ही स्वेच्छा से सरेंडर करने वालों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

विजय विश्वास पंत, एमडी पीवीवीएनएल

विभागीय कर्मचारियों द्वारा किसी भी अनियमितता की सूचना विभाग को तुरंत दे। खामी पाए जाने पर दोषी पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। बिजली चोरों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

एके कोहली, चीफ इंजीनियर, पश्चिमांचल विद्युत वितरण मेरठ

बिजली चोरी रोकने को समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं। इसी के साथ बिजली चोरों पर जुर्माना से लेकर एफआईआर तक की कार्रवाई की जाती है। बिजली चोरी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

योगेश कुमार, एसई रेड, पीवीवीएनएल