विदेश में हारने के बहाने थे. लेकिन अब अपनी मुंहमांगी पिचों पर भी लगातार हार के बाद उनके पत्ते खुलने लगे हैं. उनके कैरियर को करीब से देखने वालों की नजर में धोनी के लिए बतौर कप्तान ही नहीं बल्कि टीम के सदस्य के रूप में भी ये सबसे मुश्किल घड़ी है.

भारतीय खेल प्राधिकरण के क्रिकेट कोच एमपी सिंह ने बीबीसी से कहा, "यकीनी तौर पर यह धोनी के लिए सबसे बुरा समय है. मेरी नजर में उन्हें अपने बेसिक पर फिर से काम करना होगा. टीम में बने रहने के लिए रन बनाना जरुरी है."

एमपी सिंह 2001 से धोनी के खेल को निखारने में मदद करते आए हैं. आज भी धोनी जब भी जरुरत महसूस करते हैं तो वह दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में एमपी 'सर' से सलाह और अपने खेल में सुधार के लिए आते हैं.

आंकड़ों से बाजी हारी

धोनी की कप्तानी में टीम पिछले 16 टेस्ट मैचों में से 9 हार चुकी है. वैसे टीम ने दस मैच हारे हैं लेकिन एक में धोनी पर लगे प्रतिबंध के कारण सहवाग ने कप्तानी की थी. इस बीच टीम ने वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड के खिलाफ घर पर दो-दो टेस्ट मैच जीते हैं.

मुंबई और कोलकाता में हार के बाद उनकी रणनीति बनाने की क्षमता भी सवालों के घेरे में आ गई है. चेन्नई रणजी टीम के कोच वी बी चंद्रशेखर ने धोनी के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर कहा, " यहां से उनके लिए राह आसान नहीं. टेस्ट कैरियर को लंबा करने लिए धोनी को असाधारण प्रयास करने होंगे. देखना रोचक होगा कि उनका टेस्ट कैरियर कितना लंबा और चलता है."

चंद्रशेखर उस चयन समिति में थे जिसने धोनी को भारतीय टीम के लिए चुना था. इसके अलावा वह आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स में भी धोनी के साथ काम कर चुके हैं.

टीम में भविष्य

चयन समिति के पूर्व प्रमुख श्रीकांत ने तो टीवी पर ही कह दिया है कि सीरीज में हार के बाद धोनी को कप्तानी से हटा देना कोई गलत नहीं होगा. श्रीकांत के रहते ही धोनी टेस्ट टीम के कप्तान बने थे.

धोनी का रिकार्ड लगातार सिर्फ कप्तानी में ही नहीं बल्कि बल्लेबाजी में भी लड़खड़ा चुका है. हर सिरीज के साथ उनके खुद के प्रदर्शन में गिरावट आ रही है. जनवरी 2011 से उनकी बल्लेबाजी पर निगाह डालने से साफ है कि वह समय दूर नहीं है जब कप्तानी के खराब रिकार्ड के साथ उनके टीम में ही बने रहने पर सवाल उठने लगेंगे.

जनवरी 2011 से धोनी ने कोलकाता तक 19 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. इनमें 33 पारियों में वह 14 बार 20 रन से उपर नहीं गए. इसके अलावा वह कोलकाता की दूसरी पारी की तरह पांच बार जीरो पर आउट भी हुए हैं.

यकीनन इस दौरान नवबंर 2011 में कोलकाता में ही वेस्टइंडीज के खिलाफ 144 रन की पारी खेली लेकिन जिस समय वह बल्लेबाजी के लिए आए, स्कोर बोर्ड पर टीम के 396 रन थे. इन दो सालों में यही उनका एकमात्र शतक है.

खराब तकनीक

एम पी सिंह ने कहा. " उन्हें अपनी तकनीक सुधारनी होगी. वह बाटम हैंड के साथ पुश कर रहे हैं. जबकि ऐसी पिचों पर आपको हल्के हाथों के साथ खेलना चाहिए. वह काफी गलतियां कर रहे हैं. धोनी गेंद की लाइन में आकर नहीं खेल रहे हैं. वह लाइन मिस कर रहे हैं. इस कारण उसके एज निकल रहे हैं. मेरा मानना है कि घरेलू क्रिकेट में खेलना उनके लिए ज्यादा मददगार साबित हो सकता है. "

इस सत्र में टीम इंडिया के सभी स्टार खिलाड़ी रणजी के कुछ मैच खेले. सचिन तेंदुलकर तो मुंबई के लिए शतक बना कर यह सीरीज खेलने आए. जहीर खान. युवराज, हरभजन,अश्विन, विराट कोहली, वीरेंद्र सहवाग सभी ने रणजी मैच खेले. लेकिन धोनी की झारखंड टीम ने उनसे गुजारिश की थी जिसे भारतीय कप्तान ने ठुकरा दिया. भारतीय टीम में आने के बाद से अब तक धोनी ने साल 2006 से अब तक झारखंड के लिए सिर्फ एक ही मैच खेला है.

चयनकर्ताओं के सामने सवाल है कि क्या धोनी को इतनी लगातार विफलताओं के बाद भी क्रिकेट के तीनों फ़ॉर्म में कप्तान बनाए रखना चाहिए या फिर धोनी के लिए घरेलू क्रिकेट ज्यादा खेलने का वक्त आ गया है?


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