श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी के परिसर में नौ दिन सुनिए रामकथा का सातवां दिन

ALLAHABAD: जब राजा स्वयं दलित के दरवाजे जाकर उसका सम्मान करता है तब समाज में समरसता आती है। रामकथा के माध्यम से हम समरसता व सामाजिक सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करें तो निश्चित रूप से हमें सफलता मिल सकती है। लेकिन दुख इस बात का होता है कि हम इस बारे में कभी नहीं सोचते हैं। यह बातें गोरखपुर से आए कथा व्यास हेमंत तिवारी ने श्री श्री रामचरित मानस सम्मेलन समिति की ओर से श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी के परिसर में चल रही नौ दिन सुनिए रामकथा के सातवें दिन कहीं।

देवरिया के कथावाचक अखिलेश मणि ने कहा कि रामकथा में सामाजिक समरसता का बहुत बड़ा संदेश छिपा हुआ है। क्योंकि प्रभु श्रीराम दलित वर्ग की शबरी के यहां स्वयं जाकर उसे मात कहते हैं। पं। राम अचल व्यास ने सांगीतिक प्रस्तुति के जरिए प्रभु श्रीराम के नाम की महत्ता का बखान किया। संचालन समिति के अध्यक्ष लल्लू लाल गुप्ता सौरभ का रहा।

जब-जब होई धर्म की हानि

श्री श्री बांके बिहारी परिवार की ओर से मिनी चौधरी गार्डेन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन पद्मा भारती ने कंस वध व मथुरा गमन की महत्ता पर जब-जब होई धर्म की हानि, बाढ़ै असुर महा अभिमानी के जरिए प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण अपने भक्तों का बड़ा-बड़ा कार्य खुद करते हैं लेकिन इसका श्रेय स्वयं न लेकर भक्तों को देते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में अपराध और नारी शोषण अत्यधिक बढ़ रहा है। इसलिए युग परिवर्तन करके जन-जन में ईश्वर तत्व क प्रसार करना अनिवार्य है। इस मौके पर केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष चौधरी राघवेन्द्र नाथ सिंह, चौधरी कौशलेन्द्र नाथ सिंह, राजन टंडन, विवेक अग्रवाल, श्रीकांत जायसवाल, मनोज अग्रवाल आदि मौजूद रहे।