श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी के परिसर में चल रही नौ दिन सुनिए रामकथा का आठवां दिन

ALLAHABAD: किसके साथ कैसा व्यवहार हो यह प्रभु श्रीराम के अलावा कोई नहीं जानता। गुरु से, माता-पिता से, भाई, मित्र यहां तक कि शत्रु से भी प्रभु का व्यवहार अनुकरणीय है। इसलिए कहा जाता है कि रामकथा लोक व्यवहार की आचार संहिता है। यह बातें कथावाचक पं। अखिलेश मणि शांडिल्य ने श्री श्री रामचरित मानस सम्मेलन समिति की ओर से श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी के परिसर में चल रही नौ दिन सुनिए रामकथा के आठवें दिन कही।

कथा वाचिका नीलम गायत्री ने कहा कि प्रभु अयोध्या का राज नहीं धारण कर पाए और उन्हें वन जाना पड़ा लेकिन यह उनकी स्वयं की इच्छा थी। कैकेयी तो निमित्त मात्र थी। संत करुणामयी ने भजन 'प्रभु हम भी शरणागत हैं, स्वीकार करो तो जानें' की प्रस्तुति से सभी को भक्ति के सागर में गोता लगवाया। संचालन समिति के अध्यक्ष लल्लू लाल गुप्ता सौरभ ने किया।

'गाय सनातन संस्कृति का आधार'

दिव्य अध्यात्म राष्ट्र सेवा मिशन की ओर से मुंशीराम प्रसाद की बगिया में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास डॉ। अनिरुद्ध महाराज ने गौ माता की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि गाय हमारी सनातन संस्कृति का मूल आधार है। यहां तक कि हदीश में मोहम्मद साहब ने फरमाया है कि गाय के दूध में अमृत होता है। कथा के समापन पर गौ जागृति मार्च निकाला गया। जो हटिया, सालिग गंज चौराहा होते हुए बगिया में पहुंचकर समाप्त हुई। इस मौके पर कुमार नारायण, राकेश टंडन, राजेश केसरवानी, प्रतीक केसरवानी, प्यारे लाल जायसवाल, अशोक सिंह, राजेश टंडन, अरविंद जायसवाल आदि मौजूद रहे।